नई दिल्ली, 19 जनवरी ()। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ- बीएमएस ने एन. टी. सी. मिलों के निजीकरण के प्रयासों का विरोध करते हुए केंद्रीय वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल से बंद पड़े एन. टी. सी. मिलों में उत्पादन को फिर से शुरू करने की अपील की है। इसके साथ ही बीएमएस ने उन सभी श्रमिकों को काम प्रदान करने की भी मांग की है जो मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा के बाद से केवल 50 प्रतिशत वेतन प्राप्त कर रहे हैं।
बीएमएस के महासचिव रविन्द्र हिमते ने बयान जारी कर कहा कि बीएमएस ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को सौंपे ज्ञापन में सरकार से अनुरोध किया था कि मौजूदा 23 मिलों को व्यवहार्य और गैर-व्यवहार्य श्रेणियों में बांटकर, सभी आधुनिक और सक्षम मिलों में उत्पादन शुरू किया जाए।
कोविड-90 मानदंडों के एक भाग के रूप में भारत सरकार के निदेशरें के तहत 25 मार्च 2020 से सभी एनटीसी मिलो में उत्पादन बंद कर दिया गया था। बंद मिलो में उत्पादन गतिविधि शुरू नहीं की गई है लेकिन काम करने वालों को केवल 50 प्रतिशत मजदूरी और प्रशासनिक और तकनीकी कर्मचारियों को 100 प्रतिशत मजदूरी का भुगतान किया जा रहा था, लेकिन अब श्रमिकों को 50 प्रतिशत वेतन भी पिछले 3 महीनों से नहीं दिया जा रहा है।
बीएमएस ने कहा कि अब सरकार यह सोच रही है यह पीएसयू एक सफेद हाथी है और सभी एनटीसी मिलो का निजीकरण करने की कोशिश कर रही है। इसका विरोध करते हुए भारतीय मजदूर संघ ने कहा की एनटीसी लिमिटेड के संबंध में भारत सरकार को अपनी धारणा को बदलना होगा। इस संबंध में भारतीय मजदूर संघ ने एक चरणबद्ध एक्शन प्लान का सुझाव दिया है और 10 से 11 मिलो में उत्पादन को फिर से शुरू करने की मांग की है जो पहले चरण में सक्षम है।
बीएमएस ने पूरे प्रशासन में फेरबदल करने और प्रबंधन को उत्तरदायी घोषित करने की मांग भी की है। इसके अलावा बीएमएस ने केंद्रीय वस्त्र मंत्री से 3 महीने के लंबित वेतन का तुरंत भुगतान करने और इसके साथ ही सरकार से उपरोक्त अवधि के लिए ईपीएफ योगदान के बकाया राशि के साथ शेष 50 प्रतिशत वेतन का भुगतान करने की भी मांग की है और ग्रेजुएटी के भुगतान को संशोधित वेतन पर भी तुरंत देने की मांग की है।
एसटीपी/एएनएम