कोटा के भूरिया गणेश सिंहद्वार पोल के बाहर स्थित हैं, जहाँ सैंकड़ों श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर मुख्य सड़क पर होने के कारण रोजाना दो से पांच हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यदि किसी का सामान चोरी या गुम हो जाए, तो भूरिया गणेश के पास आकर सच्चे मन से प्रार्थना करने पर वह जल्दी मिल जाता है। यह मंदिर लगभग 250 साल पुराना है और अपनी प्राचीनता, मान्यताओं और ऐतिहासिक महत्व के कारण लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। भूरिया गणेश मंदिर की स्थापना उम्मेदसिंहजी ने की थी।
प्रारंभ में गणेशजी की मूर्ति दीनदयाल पार्क के सामने मिली थी, जिसे बाद में सिंहद्वार के पास स्थापित किया गया। मूर्ति भूरे रंग के पत्थर की है, इसलिए इन्हें भूरा गणेश कहा जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केंद्र बन गया है। शादी-ब्याह के समय दूल्हा-दुल्हन के परिवार वाले भूरिया गणेश को न्योता देने आते हैं। लोग मानते हैं कि यहाँ आकर मन्नत मांगने से इच्छाएँ पूरी होती हैं। गणेश चतुर्थी पर यहाँ विशेष आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
मंदिर में नियमित रूप से भजन संध्या और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। गणेशजी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और यहाँ आने से लोगों को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। भूरिया गणेश मंदिर कोटा शहर की पहचान बन चुका है। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केंद्र है। यहाँ हर साल गणेश उत्सव मनाया जाता है, जिसमें स्थानीय और बाहर से आए श्रद्धालु शामिल होते हैं। वर्तमान में मंदिर की सेवा पीढ़ी दर पीढ़ी होती आ रही है। यह सार्वजनिक मंदिर है और सभी श्रद्धालुओं के लिए खुला है।

