बिहार में बेरोजगारी और पलायन की समस्या पर कांग्रेस की चिंता

By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा-जद-यू के शासन में बिहार को दो दशकों में बर्बाद कर दिया गया है और इसे औद्योगिक नक्शे से लगभग मिटा दिया गया है। इसके कारण प्रतिभाओं का पलायन हुआ है, लेकिन अब बिहार को बचाने और इसके पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि बिहार, जो कभी चीनी, पेपर, जूट, सिल्क और डेयरी के लिए जाना जाता था, आज बेरोजगारी और पलायन का प्रतीक बन गया है।

भाजपा-जेडीयू ने 20 वर्षों में बिहार की असीम औद्योगिक संभावनाओं को नष्ट कर दिया है और इसे विकास और उद्योग के राष्ट्रीय नक्शे से लगभग मिटा दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा बिहार के हित में काम किया है और आजादी के बाद अविभाजित बिहार में पार्टी की सरकारों ने कई औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित कीं, जिससे यह राज्य देश के औद्योगिक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित हुआ। उस समय भारी उद्योग, ऊर्जा, डेयरी और रेल उत्पादन में बिहार में तेजी से विकास हो रहा था।

कांग्रेस शासन में स्थापित प्रमुख औद्योगिक इकाइयों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बरौनी तेल शोधन कारखाने ने बिहार को ऊर्जा उत्पादन का केंद्र बनाया था, जबकि सिंदरी और बरौनी खाद कारखाने ने देश की खाद सुरक्षा में योगदान दिया। इसी तरह, बरौनी डेयरी और सुधा डेयरी की नींव रखी गई और बेला में रेल पहिया कारखाना खोला गया। मढ़ौरा में डीजल लोकोमोटिव कारखाना, नवीनगर थर्मल प्रोजेक्ट और सुधा कोऑपरेटिव डेयरी नेटवर्क की स्थापना कांग्रेस की सरकारों ने की।

रमेश ने बिहार में बंद हुए कारखानों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकारों ने विजन के साथ औद्योगिक विकास की बुनियाद रखी, जबकि भाजपा-जदयू ने पुराने उद्योगों को खंडहर में तब्दील कर दिया। उन्होंने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार ने अपनी अव्यवस्थित नीतियों से मौजूद उद्योगों को भी चौपट कर दिया। अशोक पेपर मिल की 400 एकड़ जमीन का परिसर खंडहर बन चुका है। मशीनें सड़ गईं हैं और मजदूर उजड़ गए हैं।

बिहार में कभी 33 से अधिक चीनी मिलें थीं, जो देश के कुल चीनी उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान देती थीं, लेकिन अब उनमें से अधिकांश बंद हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर चुनाव में इन्हें पुनः चालू कराने का वादा करते हैं, लेकिन उनके वादों के बाद एक के बाद एक चीनी मिलें बंद होती गईं। उन्होंने कहा कि यही हाल जूट उद्योग का भी हुआ। समस्तीपुर की रामेश्वर जूट मिल 2017 से बंद है, जबकि भागलपुर का प्रसिद्ध सिल्क उद्योग संकट में है।

स्पन सिल्क फैक्ट्री वर्षों से बंद है और 95 प्रतिशत बुनकर परिवार कर्ज और गरीबी में डूबे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बड़ा उद्योग समुद्र किनारे लगता है। केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि बिहार में उद्योग के लिए जमीन नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री के चहेते उद्योगपतियों को एक रुपये प्रति एकड़ जमीन दी जाती है। आज तीन करोड़ से अधिक लोग रोजगार के लिए बिहार छोड़ चुके हैं। बिहार के कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, अररिया जैसे सीमावर्ती इलाकों से मजदूर पश्चिम बंगाल और असम में जाकर दिहाड़ी कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या भाजपा-जेडीयू सरकार बताएगी कि जब कांग्रेस ने बिना समुद्र के बिहार में बरौनी, सिंदरी, हटिया और बोकारो जैसे भारी उद्योग स्थापित किए, तो आज उद्योग लगाना असंभव क्यों बताया जा रहा है। क्या यह सच नहीं है कि पिछले 20 वर्षों में बिहार को उद्योगहीन कर दिया गया और केवल पलायन-आधारित अर्थव्यवस्था बची है। जिन मिलों ने किसानों, मजदूरों और युवाओं को रोजगार दिया, वे सरकार की गलत नीतियों की भेंट चढ़ गईं।

रमेश ने कांग्रेस का संकल्प बताते हुए कहा कि उनकी सरकार बनने पर बिहार में उद्योग, रोजगार और आत्मनिर्भरता की पुरानी परंपरा को फिर से मजबूत किया जाएगा। भाजपा-जद-यू सरकार ने पिछले दो दशकों में व्यवस्थित और जानबूझकर औद्योगिक विकास को कमजोर किया है, जिसे फिर से मजबूत किया जाएगा। उनका कहना था कि कांग्रेस को मालूम है कि बिहार को पलायन नहीं, पुनर्निर्माण चाहिए।

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