कोटा। परंपरागत खेती में बैलों का महत्व एक बार फिर बढ़ता दिखाई दे रहा है। सरकार द्वारा बैलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति किसान 30,000 रुपए का अनुदान देने की घोषणा के बाद जिले में किसानों का उत्साह बढ़ गया है। जानकारी के अनुसार, कृषि विभाग की इस योजना के तहत बैल आधारित खेती को बढ़ावा देने और पशुधन संरक्षण के उद्देश्य से किसानों को आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब तक कोटा जिले से 19 किसानों ने आवेदन कर दिए हैं और आने वाले दिनों में आवेदन संख्या तेजी से बढ़ने की संभावना है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कुछ समय पहले तक किसानों को बैल आधारित खेती के लिए प्रेरित करना मुश्किल था। कई बार तो विभागीय टीम को गांव-गांव जाकर बैल खोजने पड़ते थे, लेकिन जैसे ही अनुदान योजना की जानकारी किसानों तक पहुंची, वे स्वयं आवेदन करने आगे आ रहे हैं। अब खुद आवेदन लेकर पहुंचने लगे किसान। जानकारी के अनुसार अब हालात बदल गए हैं। कुछ समय पहले तक कृषि विभाग के अधिकारियों को जिले में बैल खोजने के लिए गांव-गांव मशक्कत करनी पड़ रही थी।
परंपरागत खेती को बचाने के लिए सरकार ने जब बैल आधारित खेती करने वाले किसानों को 30 हजार रुपए का अनुदान देने की योजना लागू की, तो तस्वीर पूरी तरह बदल गई। अब किसान खुद आवेदन लेकर विभाग के पास पहुंचे लगे हैं। कृषि विभाग के अनुसार, योजना की घोषणा के बाद अब तक 19 किसानों ने आवेदन कर दिए हैं। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में और भी किसान आवेदन करेंगे। विभागीय अधिकारी गांव-गांव जाकर योजना का प्रचार कर रहे हैं। कई किसानों ने कहा कि यह योजना उनके लिए खेती का बोझ हल्का करेगी।
बैलों से खेती करने से न केवल लागत घटेगी बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी। योजना का उद्देश्य- पारंपरिक खेती को बढ़ावा देना।- बैलों की नस्ल संरक्षण करना।- रासायनिक खाद और डीजल पर बढ़ती निर्भरता कम करना।- छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक संबल देना। गांवों में घट रही बैलों की संख्या। विभागीय अधिकारियों के अनुसार पहले हर गांव में बैलों की दर्जनों जोड़ियां देखने को मिलती थी। मगर अब समय बदल चुका है, और अधिकतर किसानों ने बैलों को त्याग दिया है।
सिंचाई के साधनों से वंचित किसानों ने भी आधुनिक उपकरणों का सहारा लेकर बैलों की उपयोगिता को भुला दिया है। यही कारण है कि पशुधन की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। पहले कई स्थानों पर बड़े पशु मेले आयोजित किए जाते थे। इन मेलों में लाखों रुपए के बैल खरीदे और बेचे जाते थे, लेकिन जब से खेतों में बैलों का उपयोग कम हुआ, पशु मेलों का अस्तित्व भी संकट में आ गया। ऐसे में सरकार ने बैलों से खेती को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की है।
लघु और सीमांत किसानों के लिए यह योजना काफी अच्छी है। अनुदान मिलने से अब बैलों के माध्यम से खेती को बढ़ावा मिलेगा। सरकार और कृषि विभाग का यह प्रयास काफी सराहनीय है।- जगदीश कुमार, किसान नेता। सरकार द्वारा बैलों की खेती करने वालों को प्रति किसान 30,000 रुपए का अनुदान देने की घोषणा के बाद जिले में किसानों का उत्साह बढ़ गया है। अब तक कोटा जिले से 19 किसानों ने आवेदन किए हैं और इनकी प्रशासनिक स्वीकृति जारी भी कर दी है।- अतीश कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग

