अब ईवीएम पर उम्मीदवार की रंगीन तस्वीर होगी

By Sabal SIngh Bhati - Editor

बिहार से इसकी शुरुआत होगी और जल्द ही पूरे देश में एसआईआर शुरू करने की तारीख तय की जाएगी। चुनाव आयोग ने ईवीएम मतपत्र को स्पष्ट और पठनीय बनाने के लिए उसकी डिजाइन और मुद्रण शैली में बदलाव किया है। आयोग ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49 बी के तहत निर्देशों में संशोधन किया है। इसके तहत अब ईवीएम में उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिन्ह के साथ उनकी रंगीन तस्वीर भी दिखेगी। यह नई व्यवस्था बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से लागू होगी।

निर्वाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए चुनाव आयोग लगातार नई पहल कर रहा है। पिछले छह महीने में चुनाव आयोग 28 नए कदम उठा चुका है। इसमें एसआईआर के मुद्दे को लेकर विवाद भी हुआ है। अब आयोग ने ईवीएम मतपत्र को लेकर बड़ा फैसला लिया है। ईवीएम मतपत्र पर अब उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें छपी होंगी। उम्मीदवार का फोटो साफ तौर पर दिख सके इसलिए तस्वीर के तीन-चौथाई हिस्से पर उसका चेहरा दिखेगा। उम्मीदवारों और नोटा के क्रमांक भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप में छापे जाएंगे। वहीं फॉन्ट का आकार 30 होगा और बोल्ड लिखा जाएगा।

इसके अलावा सभी उम्मीदवारों और नोटा के नाम एक ही फॉन्ट प्रकार और फॉन्ट साइज में होंगे। ताकि यह आसानी से पढ़ने में आए। इसके अलावा ईवीएम मतपत्र 70 जीएसएम कागज पर मुद्रित किए जाएंगे। विधानसभा चुनाव के लिए तय आरजीबी गुलाबी रंग के कागज का इस्तेमाल किया जाएगा। इस कागज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। आयोग का कहना है कि इस पहल से मतदान प्रक्रिया सुगम हो सकेगी। साथ ही चुनाव के प्रति पारदर्शिता और लोगों का भरोसा भी मजबूत होगा।

रंगीन तस्वीरें, बड़े फॉन्ट और बेहतर गुणवत्ता वाले कागज होने के चलते मतदाता बिना किसी असमंजस के सही उम्मीदवार का चुनाव कर सकेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए लाभकारी होगा। ईवीएम पर अब तक काले-सफेद फोटो और छोटे अक्षरों की वजह से मतदाताओं को परेशानी होती थी। नई व्यवस्था से मतदान प्रक्रिया अधिक लोकतांत्रिक व सुगम होगी।

बता दें कि चुनाव आयोग जल्द ही पूरे भारत में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू करने की तारीख तय करेगा और राज्यों में मतदाता सूची की समीक्षा का काम साल के अंत से पहले शुरू हो सकता है। इसे लेकर चुनाव आयोग ने बुधवार को कहा कि अधिकतर राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को संभवत: कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उनके नाम राज्यों में हुए पिछले रकफ के बाद तैयार मतदाता सूची में शामिल होंगे। चुनाव आयोग ने बताया, ज्यादातर राज्यों में मतदाता सूची का आखिरी विशेष गहन पुनरीक्षण 2002 और 2004 के बीच हुआ था।

अगले एसआईआर के लिए इसी साल को उनकी कट-ऑफ तारीख का आधार माना जाएगा। कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने पिछली एसआईआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूची अपनी वेबसाइटों पर डाल रखी है। एसआईआर को लेकर जारी गहमागहमी के बीच निर्वाचन आयोग ने एक अतिरिक्त घोषणा प्रपत्र भी लागू किया है। यह उन आवेदकों के लिए है जो पहली बार मतदाता बनना चाहते हैं या किसी अन्य राज्य से पता बदलकर आए हैं। इसमें उन्हें यह घोषणा करनी होगी कि उनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में हुआ था।

ऐसे मतदाता भी अपने जन्म से संबंधित कोई दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे। अगर किसी शख्स का जन्म 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच हुआ हो, तो ऐसे मामले में उन्हें अपने माता-पिता के जन्म संबंधी दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे।

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