उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने रविवार को बिहार चुनाव-2025, कथित वोट चोरी और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह दलगत राजनीति से दूर हैं और सभी मित्रों से अपील की कि जो भी सार्वजनिक जीवन में हैं, उन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। यह बहुत आवश्यक है। लोग हमेशा उसी पेड़ पर पत्थर फेंकते हैं, जिस पर फल ज्यादा होते हैं। इसलिए सार्वजनिक जीवन में धैर्य जरूरी है। हमें हर सवाल का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है।
लोगों को सवाल पूछने का अधिकार है और हमें जवाब देने या न देने का अधिकार है। बिहार चुनाव 2025 के नतीजों के बाद सांविधानिक संस्थाओं पर विपक्ष के हमले पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह ठीक नहीं है। हर किसी की अपनी राय होती है, लेकिन लोग जानते हैं कि सही क्या है। दिल्ली में हुए आतंकी हमले पर उन्होंने कहा कि पुलिस और खुफिया एजेंसियों को हर बार सतर्क रहना पड़ता है। आतंकियों को केवल एक बार सफल होना होता है। यह विस्फोट बहुत दर्दनाक था, लेकिन इससे सभी एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं।
वे अपनी पूरी कोशिश करेंगी और भविष्य में ऐसे मामलों पर रोक लगाएंगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मीडिया का कर्तव्य है कि वह देश में हो रहे सकारात्मक कार्यों को युवाओं तक पहुंचाए, ताकि उनमें उत्साह और आशा का वातावरण बने। पत्रकारिता का मूल उद्देश्य उन लोगों को आवाज देना है, जिनकी आवाज समाज में कम सुनी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया नशीले पदार्थों से मुक्त समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि वह जनजागरूकता बढ़ाता है और जिम्मेदार सार्वजनिक विमर्श को बढ़ावा देता है।
उपराष्ट्रपति ने मनोरमा न्यूज न्यूजमेकर अवॉर्ड-2024 समारोह में पर्यटन तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि सिनेमा और राजनीति अलग संसार हैं और दोनों में समान अनिश्चितता है। उन्होंने गोपी की दोनों क्षेत्रों में निरंतरता और सफलता की प्रशंसा की। अपने संबोधन में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मनोरमा समूह ने सत्य, भाषा और संस्कृति के प्रति अपने निरंतर समर्पण के कारण पीढ़ियों से जनता का विश्वास और सम्मान अर्जित किया है। उन्होंने कहा कि समूह ने मलयालम साहित्य और मीडिया जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उपराष्ट्रपति ने लेखापरीक्षा दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की और इस संस्था को जनता के खजाने का संरक्षक बताया। उन्होंने लेखापरीक्षा में निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखते हुए सीएजी की जवाबदेही, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा के एक स्तंभ के रूप में खड़ा रहने की बात कही। राधाकृष्णन ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के लिए एक राष्ट्र, एक वस्तु व्यय शीर्ष अधिसूचित करने के लिए सीएजी की सराहना की। यह सरकारी व्यय की पारदर्शिता और तुलनात्मकता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सीएजी की वैश्विक प्रतिष्ठा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिए बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में अपनी भूमिका के माध्यम से बढ़ी है। उन्होंने बताया कि सीएजी वर्तमान में एशियाई सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों के संगठन (एएसओएसएआई) की अध्यक्षता कर रहे हैं। जैसे-जैसे भारत विकसित भारत @ 2047 के विजन की ओर बढ़ रहा है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रभावी शासन के लिए राजकोषीय अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में सीएजी एक प्रमुख भागीदार बना रहेगा।
उन्होंने अधिकारियों से सार्वजनिक व्यय में पारदर्शिता बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने कौशल और लेखा परीक्षा क्षमताओं को निरंतर उन्नत करने का आग्रह किया कि जनता के धन का उपयोग जन कल्याण के लिए किया जाए।


