जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद हत्या के आरोपी की समय पूर्व रिहाई नहीं करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा है कि 3 सितंबर तक आदेश की पालना की जाए, वरना 4 सितंबर को जेल अधीक्षक, जयपुर, स्थानीय कलेक्टर और डीसीपी ईस्ट अदालत में पेश होकर अपना स्पष्टीकरण दें। जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस बीएस संधू की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में अधिवक्ता पवन कुमार शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को हत्या के मामले में 16 मार्च, 2012 को आजीवन कारावास की सजा मिली थी।
उसे 12 जून, 2020 को स्थाई पैरोल का लाभ दिया गया। याचिका में कहा गया कि उसने प्रशासन के समक्ष समय पूर्व रिहाई का प्रार्थना पत्र पेश किया था। जिसे प्रशासन ने यह कहते हुए 12 जनवरी, 2024 को खारिज कर दिया कि संबंधित पुलिस अधीक्षक की सिफारिश नहीं होने के उसे समय पूर्व रिहाई का लाभ नहीं दिया जा सकता। इस आदेश को उसे हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गत 4 जुलाई को याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को समय पूर्व रिहाई का लाभ देने को कहा।
अवमानना याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के छह सप्ताह बीतने के बाद भी उसे अभी तक समय पूर्व रिहाई का लाभ नहीं दिया गया। ऐसे में उसे समय पूर्व रिहाई का लाभ देते हुए आदेश की पालना में कोताही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई की जाए। जिसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि गत 30 जुलाई को पत्र लिखकर याचिकाकर्ता के मामले में सलाहकार समिति के समक्ष रखने को कहा गया था। ऐसे में अदालती आदेश की पालना के लिए समय दिया जाए।
इस पर अदालत ने तीन सितंबर तक पालना नहीं करने पर चार सितंबर को तीनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।

