दीपावली के बाद चचेरे भाइयों की आग में जलकर मौत

Kheem Singh Bhati

भाड़खा (बाड़मेर)। दीपावली के बाद का सन्नाटा रविवार सुबह अचानक चीख-पुकार में बदल गया, जब भाड़खा जस्तानियों की ढाणी में अलसुबह आग लगने से दो चचेरे भाइयों की जिंदा जलकर मौत हो गई। एक युवक गंभीर रूप से झुलस गया, जिसे प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रेफर किया गया है। घटना सुबह करीब पांच बजे की बताई जा रही है। हादसे के समय परिवार के सदस्य पास ही एक रिश्तेदार के घर सोए हुए थे। भड़का आग, चचेरे भाई जिंदा जले।

भाड़खा सरपंच ने बताया कि जस्तानियों की ढाणी निवासी देवीलाल शनिवार रात को अपने भाई के घर पर सोने गए थे। उसी घर में देवीलाल का बेटा जसराम और उसके चचेरे भाई अरुण (19) पुत्र शंकराराम व राजुराम (12) पुत्र पुरखाराम एक ही कमरे में सो रहे थे। रविवार तड़के करीब 5 बजे कमरे में अचानक आग भड़क उठी। कुछ ही देर में लपटों ने पूरे कमरे को घेर लिया। आसपास के ग्रामीणों ने शोर सुनकर मौके पर दौड़ लगाई और आग बुझाने का प्रयास किया।

केयर्न कंपनी की फायर ब्रिगेड ने पाया नियंत्रण, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। सूचना मिलने पर ग्रामीण थाना पुलिस और केयर्न कंपनी की फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची। कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक अरुण और राजुराम की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो चुकी थी। वहीं, जसराम बुरी तरह झुलस गया। घायल को जोधपुर रेफर, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़। स्थानीय ग्रामीणों की मदद से जसराम को बाहर निकाला गया और तुरंत बाड़मेर जिला अस्पताल लाया गया।

वहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसकी गंभीर हालत को देखते हुए जोधपुर रेफर कर दिया। बताया जा रहा है कि मृतकों के पिता देवीलाल की पत्नी का कुछ वर्ष पहले ही निधन हो चुका है, ऐसे में यह हादसा परिवार के लिए दोहरी त्रासदी बन गया है। प्रशासन और पुलिस मौके पर घटना की सूचना मिलते ही बाड़मेर एएसपी जसाराम बोस, डीएसपी रमेश कुमार शर्मा, तहसीलदार, आरआई, और पटवारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीण थाना अधिकारी राजुराम बामणिया ने बताया कि घर में बने ईंटों के कमरे में आग लगने से यह हादसा हुआ है।

मौके से साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। पटवारी की ओर से फर्द रिपोर्ट तैयार की जा रही है। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। गांव में पसरा सन्नाटा। हादसे की खबर जैसे ही गांव में फैली, पूरे इलाके में मातम छा गया। ग्रामीणों ने बताया कि तीनों चचेरे भाइयों में गहरा आपसी स्नेह था। दीपावली के बाद का यह दिन पूरे परिवार के लिए काली सुबह बन गया।

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