नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनसांख्यिकी में बदलाव को चिंता का बड़ा कारण बताते हुए कहा है कि वाइब्रेट विलेज प्रोग्राम में शामिल जिला कलेक्टरों और पुलिस को इसे गंभीरता से लेना होगा क्योंकि यह सीधे देश और सीमाओं की सुरक्षा को प्रभावित करता है। शाह ने मंगलवार को यहां सीमा प्रबंधन विभाग के दो दिन की वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम (वीवीपी) कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘डेमोग्राफिक’ बदलाव हमारे लिए चिंता का विषय है।
वीवीपी में शामिल जिलों के कलेक्टरों को इस मुद्दे को गंभीरता और बारीकी से देखना होगा। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यिकी में बदलाव सीधे तौर पर देश और सीमाओं की सुरक्षा को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि यह नहीं मानना चाहिए कि यह भौगोलिक स्थिति के कारण हो रहा है बल्कि यह एक निश्चित डिजाइन के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्रीय पुलिस बलों को भी इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि योजनाओं के शत-प्रतिशत सैचुरेशन के लिए जिला कलेक्टरों को केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ समन्वय करना चाहिए। केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल स्वास्थ्य, खेल और शिक्षा के क्षेत्र में मदद कर सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश में भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने रोजमर्रा की चीजें जैसे- दूध, सब्जी, अंडे, अनाज आदि वाइब्रेंट गांव से ही खरीदने का सफल प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि हर सीमांत गांव में इस प्रयोग को जमीन पर उतारने की जरूरत है।
सीमांत गांवों में रहने वाले हर व्यक्ति को मिलना चाहिए योजना का लाभ को शाह ने कहा कि वीवीपी का विचार तीन बिंदुओं सीमांत गांवों से पलायन रोकने, सीमांत गांवों के हर नागरिक को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करने और चिन्हित गांवों को सीमा तथा देश की सुरक्षा के लिए एक माध्यम बनाने पर आधारित है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सीमांत गांवों में रहने वाले हर नागरिक को केन्द्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं से लैस करके उनके व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाना है।

