कोटा में ऊंटों की संख्या में कमी, बीमा योजना से मिलेगी मदद

कोटा। रेगिस्तानी जहाज के रूप में पहचाने जाने वाले ऊंट का खेती और दैनिक कार्यों में कम उपयोग के कारण इनका अस्तित्व संकट में है। हर साल इनकी संख्या में कमी आ रही है। इस स्थिति को देखते हुए, राज्य सरकार ने मंगला पशु बीमा योजना में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब प्रत्येक ऊंट पालक के 10 ऊंटों का नि:शुल्क बीमा किया जाएगा। इससे बीमारी, हादसे या प्राकृतिक आपदा में ऊंटों की मृत्यु होने पर पशुपालकों को आर्थिक सहायता मिलेगी।

पिछले दो दशकों में खेती में ट्रैक्टर के बढ़ते उपयोग और दुपहिया व चार पहिया वाहनों की अधिकता के कारण ऊंटों का महत्व कम हो गया है। कोटा जिले में ऊंटों की संख्या घटकर 1862 रह गई है। पहले इस योजना में केवल एक ऊंट का बीमा किया जाता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़ाकर 10 कर दी गई है। बीमा योजना के तहत ऊंटों की बीमारी, हादसे या प्राकृतिक आपदा से मृत्यु पर अधिकतम 40 हजार रुपए की बीमा राशि दी जाएगी।

पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऊंट राजस्थान की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं और रेगिस्तानी क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं। सरकार का यह बीमा निर्णय ऊंटों की नस्ल को बचाने में मदद करेगा। पिछले 20 वर्षों में खेती में आधुनिक साधनों के उपयोग के कारण ऊंटों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। इस पर चिंतित राज्य सरकार ने मंगला पशु बीमा योजना में बदलाव किया है। अब ऊंटों की मृत्यु की स्थिति में पशुपालकों को आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे ऊंट पालकों को राहत मिलेगी और इस विलुप्तप्राय पशु के संरक्षण में मदद मिलेगी।

Share This Article
Exit mobile version