धौलपुर। तीर्थों का भांजा कहे जाने वाले मचकुंड के लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने श्रद्धा की डुबकी लगाने बड़ी संख्या में नव युगल परिवार संग मेले में पहुंचे और शादी विवाह की कलंगी व मौहरी का सरोवर में विसर्जन कर सुखद जीवन की मंगलकामना की। देवछठ के मौके पर लगने वाले मचकुंड के लक्खी मेले की मान्यता है कि देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा, जिस युद्ध में लीलाधर को भी हार का मुंह देखना पड़ा।
तब लीलाधर ने छल से मुचकुन्द महाराज के जरिए कालयवन का वध कराया था। जिसके बाद से ही मुचकुन्द महाराज कि तपोभूमि मचकुंड में श्रद्धालु देवछठ के मौके स्नान करते आ रहे हैं। जहां इन नवविवाहित जोड़ों के सेहरे की कलंगी को सरोवर में विसर्जित कर उनके जीवन की मंगलकामना की जाती है। सरोवर में चारधाम की यात्रा करने के बाद आए श्रद्धालुओं ने भी डुबकी लगाई। भगवान श्री कृष्ण का लीला स्थल रहा : मथुरा के नजदीक होने से यह स्थान योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान की लीला स्थली भी रही है।
महाभारत काल और श्रीमद भगवत गीता के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के चरण यहां भी पड़े थे। इसका उल्लेख श्रीमद भगवत गीता और महाभारत में भी है। आज भी यहां भगवान श्रीकृष्ण के पद चिन्हों के निशान हैं और वह गुफा भी स्थित है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने छल युद्ध किया था। कालयवन के वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने यहां यज्ञ कराया, जो मुचुकंद महाराज के नेतृत्व में हुआ। यज्ञ में 33 कोटी देवता और राजा महाराजाओं ने भाग लिया।
यज्ञ के बाद मुचकुन्द महाराज को भगवान श्रीकृष्ण ने वरदान दिया कि कोई भी श्रद्धालु तीर्थ करने के बाद इस कुंड में स्नान कर लेगा, तब ही उसका तीर्थ यात्रा सफल होगी।

