जीआरपी थानों और चौकियों की जर्जर स्थिति पर चिंता

कोटा। जर्जर भवनों में संचालित जीआरपी थाना और चौकियां अपनी बदहाली पर आंसू बहाने पर मजबूर हो रहे हैं। बरसात के चलते थानों व चौकियों के कमरों में पानी भरने के बाद भी कामकाज करना परेशानी का सबब बन रहा है। बरसाती पानी के कारण रिकॉर्ड रूम व मालखाना में रखा रिकॉर्ड व बलवा खराब होने की कगार पर है। जीआरपी ने कई बार रेलवे अधिकारियों और पुलिस अधीक्षक अजमेर को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन समाधान नहीं हो पाया। थाने और चौकियों की हालत बद से बदतर हो रही है।

बरसाती पानी के चलते जवानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अभी यह है भवनों की स्थितिजानकारी के अनुसार उप-अधीक्षक कोटा वृत कार्यालय रेलवे विभाग द्वारा वर्ष 2020 में मरम्मत करवाकर दिया गया था। वहीं जीआरपी थाना एक पुराने भवन जर्जर भवन में दोनों ट्रैकों के बीच में संचालित हो रहा है। जिसमें कप्यूटर कक्ष, हैड मोहर्रियर कार्यालय, रिकॉर्ड रूम, मालखाना रूम, हवालात, बाथरूम तथा शौचालय व मैस संचालित किया जा रहा है। जो कि पूर्णतया जर्जर हालत में हैं। जर्जर कमरों के नीचे बैठकर जवान कार्य कर रहे हैं।

जिससे कमरों में सीलन के चलते प्लास्टर दीवारों से उखड़ रहा है, फर्श पानी के कारण फूल गया है और नीचे स्तर थाना होने से नालियों का पानी भी कमरों में आ रहा है। रेलवे विभाग को कई बार जीरआरपी द्वारा समस्या के लिए पत्र व्यवहार किए जाने के बावजूद अनदेखा किया जा रहा है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने का अंदेशा है। स्टॉफ को जीव जंतुओं से भी खतरा भरतपुर जीआरपी थाना 1957 में बने भवन में चल रहा है। अब तक भवन का कोई नवीनीकरण नहीं किया गया है।

बरसात के दिनों में भवन की छत से पानी टपकता रहता है, जिससे रिकॉर्ड रुम में रखे हथियार, बलवा का सामान, सरकारी सामान सुरक्षित रखने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। दीवारों में सीलन आ रही है और छत से प्लास्टर गिरता रहता है। थाने के मैस में पानी टपकने से खाना बनाना भी मुश्किल हो रहा है। बरसात के मौसम में जलीय जीव जन्तु काटने का भय सताता रहता है। कोटा थाने की हालत भी बहुत खराब है। भवन के कमरे जर्जर हालत में हैं। बरसात के मौसम में नालियों का पानी थाने में भर जाता है।

सवाईमाधोपुर थाना एक जर्जर भवन में चल रहा है। जिससे हादसा होने का अंदेशा रहता है। कमरों में बरसात का पानी भर जाता है, जिससे नालियों के पानी के साथ जहरीलें जीव जन्तुओं के बिलों से काटने का अंदेशा रहता है। चार थाने और छह चौकियां संचालित कोटा जीआरपी वृत में चार थाने कोटा, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, भरतपुर तथा छह चौकियां बारां, झालावाड़ रोड, वनस्थली निवाई, हिंडोनसिटी, बयाना तथा धौलपुर में संचालित हैं। इन सभी चौकियों की हालत जर्जर है। बारां चौकी छोटे भवन में चल रही है, जिससे स्टॉफ बैठने की समस्या से जूझ रहा है।

झालावाड रोड पर संचालित चौकी जर्जर हालत में है। जिससे बरसात के समय में सीलन आने से प्लास्टर गिरता रहता है। सवाईमाधोपर चौकी एक जर्जर भवन में संचालित हो रही है, जिसमें मालखाना, बाथरूम, शौचालय तथा मैस कप्यूटर कक्ष, हैड प्रभारी का कक्ष बना हुआ है। यहां बरसात के समय छत से पानी टपकता रहता है। पानी गिरने से रिकॉर्ड खराब हो रहा है। निवाई, गंगापुरसिटी, हिंडोन सिटी, बयाना, चौकियां भी जर्जर भवनों में संचालित हैं। इन सभी चौकियां की मरम्मत की आवश्यता है।

जर्जर भवनों और बरसात के समय में पानी भरने से स्टॉफ को कार्य करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धौलपुर चौकी को पूर्व में ही रेलवे द्वारा नकारा घोषित किया गया है, इसके बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इनका कहना है थानों की स्थित को देखते हुए डीआरएम व एसपी जीआरपी को कई बार पत्र लिखा है। थानों व चौकियों की जर्जर अवस्था के बारे में अवगत करवाया गया है, लेकिन अभी तक कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है।

– शंकरलाल, डिप्टी एसपी जीआरपी कोटा वृत कोटा वृत के थानों और चौकियों की जर्जर हालत के सम्बंध में डीआरएम से मिलकर अवगत कराया था और जवानों की समस्या भी उनके सामने रखी थी। इसके बाद कई बार लिखित में समस्या को लेकर पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। अब फिर से रेलवे के अधिकारियों को समस्याओं से अवगत करवाया जाएगा। – नरेन्द्र सिंह, एसपी जीआरपी अजमेर रेंज इस मामले में डिप्टी एसपी से वार्ता की गई और मामला डीआरएम के प्रसंज्ञान में हैं। हमने अपने इंजीनियर को बोल रखा है।

अभी स्टेशन पर निर्माण कार्य हो रहा है, जिसमें कई विभागों का रिनोवेशन होगा। पता करना पड़ेगा कि जीआरपी को शामिल किया गया है या नहीं, निश्चित रूप से अलग से वर्क कराया जाएगा। – सौरभ जैन, सीनियर डीसीएम

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