जयपुर। संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना (राम जल सेतु परियोजना) के तहत प्रस्तावित डूंगरी बांध निर्माण को लेकर हाल में उठे विवादों पर राज्य सरकार ने स्पष्ट और विस्तृत जानकारी दी। सचिवालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित प्रेस वार्ता में सरकार के तीन मंत्रियों ने परियोजना से जुड़े तथ्यों को सार्वजनिक करते हुए कहा कि विपक्ष तथ्यों को तोड़-मरोड़कर जनता को भ्रमित कर रहा है।
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान चंबल के पानी के उपयोग को लेकर परियोजना का प्रारूप तैयार किया गया था और उसी आधार पर केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था। प्रारंभिक योजना में डूंगरी डैम की क्षमता 230 मीटर और जल क्षमता 2180 एमसीए थी, जबकि वर्तमान योजना के अनुसार 540 एमसीएम क्षमता का बांध बनाया जा रहा है, जिससे 4 लाख 3 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और 17 जिलों को पेयजल उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा कि परियोजना को लेकर कई आंदोलनों के बाद भजनलाल सरकार ने इसे आगे बढ़ाया और प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा की। परियोजना पर 85 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। मंत्री ने बताया कि 9 गांवों के 2350 घर प्रभावित होंगे, जिनका पुनर्वास सरकार की प्राथमिकता है। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि यह प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसकी वर्षों से मांग हो रही थी।
वहीं गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने स्पष्ट किया कि विपक्ष जानबूझकर 76 गांव उजड़ने का भ्रम फैला रहा है, जबकि वास्तविक रूप से केवल 16 गांव प्रभावित होंगे और उनका पूर्ण पुनर्वास किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष सफेद झूठ बोलकर किसानों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने दोहराया कि परियोजना जनहितकारी है और इससे राजस्थान के बड़े हिस्से में सिंचाई व पेयजल संकट से राहत मिलेगी।

