कोटा। कोटा शहर का न्यायालय परिसर केवल न्याय का केंद्र ही नहीं, बल्कि आस्था का भी पावन स्थल है। यहां स्थित पूरबमुखी गणेश मंदिर न केवल न्यायालयकर्मियों की श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि आमजन के लिए भी विश्वास और आस्था का प्रतीक बना हुआ है। लगभग 177 वर्ष पुराना यह मंदिर आज भी अपनी ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक मान्यता को जीवित रखे हुए है। इस गणेश मंदिर की स्थापना रियासतकालीन समय में हुई थी।
पुरानी पीढ़ियों से चली आ रही मान्यता है कि जब कोटा का न्यायालय भवन आकार ले रहा था, तभी इस परिसर में गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई थी। गणेशजी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। श्रद्धालुओं से मिली जानकारी के अनुसार पूरब दिशा ज्ञान, विकास और ऊर्जा की दिशा मानी जाती है। पूरबमुखी गणपति की उपासना करने से न केवल कार्य सिद्धि होती है, बल्कि जीवन में समृद्धि और सकारात्मकता भी बनी रहती है। कोटा न्यायालय परिसर का पूरब मुखी गणेश मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है।
इस मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा करवाकर रिद्धी-सिद्धी को भी विराजमान करवाया गया। इस मंदिर में हनुमान व शिव परिवार के साथ गणेश भगवान विराजमान है। कोर्ट मैरिज और पूरब मुखी गणेश को धोककोटा शहर और आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में जोड़े कोर्ट मैरिज के लिए न्यायालय पहुंचते हैं। विधिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये नवदम्पत्ति मंदिर में जाकर गणेशजी को धोक लगाना अपनी परंपरा मानते हैं। उनका विश्वास है कि जीवन के नए अध्याय की शुरूआत विघ्नहर्ता गणेशजी के आशीर्वाद से करने पर वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।
आस्था का अनूठा संगम की अलग ही पहचानन्यायालय परिसर में रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं। इनमें न्यायालयकर्मी, वकील, पक्षकार और उनके परिजन शामिल होते हैं। अदालत के बाहर इंतजार करने वाले लोग भी कुछ क्षण मंदिर में जाकर गणपति का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ आने वाले श्रद्धालु प्राय: वही होते हैं जो न्याय के काम से जुड़े होते हैं। चाहे कोई केस की सुनवाई के लिए आया हो या कोर्ट मैरिज करवाने के लिए—हर कोई पहले गणपति को धोक लगाता है।
यह मंदिर को बाकी धार्मिक स्थलों से एक अलग ही पहचान रखता है। गणेश चतुर्थी पर होता है विशेष शृंगारपूरे वर्ष मंदिर में पूजा-पाठ नियमित रूप से चलता है, लेकिन गणेश चतुर्थी पर इसका स्वरूप ही बदल जाता है। फूलों, झालरों और रोशनी से मंदिर परिसर को सजाया जाता है। न्यायालयकर्मी और श्रद्धालु मिलकर गणपति का श्रृंगार करते हैं और दिनभर भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। गणेश चतुर्थी पर यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। कई बार न्यायालय परिसर से निकलने वाले राहगीर भी आस्था के इस रंग में रंग जाते हैं।
कोर्ट मैरिज कर लेते है आशीर्वादश्रद्धालुओं का मानना है कि सच्चे मन से यहां जो भी प्रार्थना की जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। न्यायालय में केस लड़ रहे कई लोग मंदिर में आकर यह मन्नत भी मांगते है उनके पक्ष में फैसला हो। कोर्ट मैरिज करने वाले नवदंपत्ती भी धोक लगाते है। वहीं इसके अलावा कई लोग परीक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य और पारिवारिक समस्याओं से निजात पाने के लिए भी यहां आते हैं। कई बार लोग केस की सुनवाई से पहले गणेशजी का आशीर्वाद लेकर ही अदालत कक्ष में प्रवेश करते हैं।
न्यायालयकर्मी ही होते हैं पुजारीपुजारी हरिओम शर्मा व गुलाब सैनी ने बताया कि मंदिर की एक और अनूठी विशेषता है कि इसका पुजारी भी कोर्टकर्मी ही है। परंपरा के अनुसार इस मंदिर की देखरेख हमेशा न्यायालय से जुड़े व्यक्ति ही करते आए हैं। प्रारंभिक समय में प्रेम नामा नामक कोर्टकर्मी मंदिर की पूजा-अर्चना करते थे। धीरे-धीरे जब मंदिर का विस्तार हुआ तो इसे न्यायालय परिसर के बाहर की ओर भव्य रूप में स्थापित किया गया। इसके बाद गुलाब सैनी ने पूजा-पाठ की जिम्मेदारी संभाली। वे कोर्ट में स्टेनो थे, वो अब रिटायर्डकर्मी है।
वर्तमान समय में प्रतिदिन सुबह और शाम की आरती तथा मंदिर की देखभाल कोर्टकर्मी हरिओम शर्मा ही करते है। यह परंपरा इस मंदिर को न्यायालय से गहराई से जोड़े रखती है। यह मंदिर अवकाश के अलाा पूरे दिन खुला रहता है। कभी भी आकर पूजा-अर्चना करते सकते है। हर मन्नत होती हैं पूरीएडवोकेट अतीश सक्सेना ने बताया कि इस मंदिर में हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस कोर्ट परिसर में यहां आने वाले लोग गणेश जी को धोक लगाकर सच्चे मन से मनोकामना करते हैं। कोर्ट में अधिकांश मामले आते है।
लोग अपने पक्ष में फैसले को लेकर भी पूरब मुखी गणेश से कामना करते है। इस परिसर में अधिकांश श्रद्धालु एडवोकेट, न्यायालयकर्मी ही है। यहां बाहर से भी श्रद्धालु आते हैं। न्याय के द्वार पर ही विराजमान है। यहां से आने-जाने वाले सभी कर्मी व अन्य धोक लगाकर निकलते है। मेरी भी मनोकामना हुई पूरीएडवोकेट विनिता कुमारी ने बताया कि कोर्ट में 2015 से कार्य कर रही हूं। मैंने हमेशा से ही कोर्ट परिसर में आते ही पहले पूरबमुखी गणेश को याद करके ही अपना कार्य की शुरूआत करती हंू। पूरब मुखी गणेश मंदिर रियासतकालीन का बना हुआ है।
इस मंदिर के पुजारी रोजाना पूजा-अर्चना करते है। वहीं अधिकांश कर्मी उनको धोक लगाकर ही अपने कार्य को शुरू करना पसंद करते हैं। मैंने भी अच्छे वर के लिए कामना की थी जो मेरी पूरी हुई। आज मैं अपने परिवार के साथ काफी खुश हूं।

