कोटा। किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें संगठित करने के लिए बनाए गए किसान उत्पादक संगठनों(एफपीओ) से जुड़े किसानों को अब बड़ी राहत मिली है। अब इन किसानों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से नहीं काटे जाएंगे। राज्य के कई जिलों में रसद विभाग की ओर से इन किसानों को नोटिस दिए जा रहे थे कि वे एफपीओ से जुड़े हैं, इसलिए उनका नाम खाद्य सुरक्षा योजना से हटाया जाएगा। इस कार्रवाई से किसानों में भारी रोष था और कई जगह किसानों ने राशन बंद होने के विरोध में अपने एफपीओ से इस्तीफे भी दे दिए थे।
इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि एफपीओ से जुड़े किसानों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से न काटे जाएं। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि एफपीओ में सदस्यता लेने का मतलब यह नहीं है कि किसान की आर्थिक स्थिति सुधर गई है या वह पात्रता से बाहर हो गया है। किसानों को राहत देने की प्रक्रिया शुरू राजस्थान में अब तक 900 से अधिक किसान उत्पादक संगठन पंजीकृत हो चुके हैं।
ये संगठन किसानों को संगठित करने, बाजार तक सीधी पहुंच दिलाने और उचित दाम दिलाने के लिए कार्य कर रहे हैं। केंद्र सरकार एफपीओ को मजबूत करने के लिए विशेष योजनाएं भी चला रही है, ताकि छोटे और सीमांत किसानों को सीधी आर्थिक मदद मिल सके। केंद्र के पत्र के बाद अब राज्य सरकार ने भी एफपीओ से जुड़े किसानों को राहत देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे उन हजारों किसानों को बड़ी राहत मिलेगी जिनका राशन रोक दिया गया था या जिनके नाम सूची से हटाने की तैयारी थी।
कोटा में भी कई एफपीओ सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं, जिनके माध्यम से किसान खाद-बीज, मशीनरी और विपणन की सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं। अब जब केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एफपीओ सदस्यता का खाद्य सुरक्षा योजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा, तो किसानों में भी उत्साह देखा जा रहा है। फैक्ट फाइल- एफपीओ से जुड़े किसानों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से नहीं हटेंगे।- केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र भेज कार्रवाई पर रोक के दिए निर्देश।- अब तक 900 से अधिक एफपीओ पंजीकृत।- राशन बंद होने पर कई किसानों ने दिए थे इस्तीफे।
नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामलाकिसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सदस्यों को राशन से वंचित करने के संबंध में दैनिक नवज्योति में गत 8 अक्टूबर को प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। जिसमें बताया था कि खाद्य सुरक्षा योजना (एफएसए) के तहत अपात्र लाभार्थियों की पहचान अभियान के बीच रसद विभाग ने अब किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सदस्य भी अपात्र के दायरे में आ रहे हैं। ऐसे में कोटा जिले सहित पूरे प्रदेश में एफपीओ सदस्यों को राशन कार्ड से नाम हटाने के नोटिस जारी किए गए हैं।
सरकार की ओर से गिव अप अभियान के तहत मुफ्त का राशन लेने वाले अपात्रों का राशन कार्ड से नाम हटाने की कार्रवाई की जा रही है। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं। ऐसे में उन्हें भी बड़ी कंपनियों की तरह मान लिया गया। इसके बाद राशनकार्ड से नाम हटाने के लिए संगठनों के किसानों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि एफपीओ से जुड़े किसानों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से न काटे जाएं। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
– गिरिराज सिंह, नायब तहसीलदार

