नई दिल्ली। लंबे इंतजार के बाद वायुसेना को वह घड़ी मिल गई है जिसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान आज नासिक में अपनी पहली उड़ान भरेगा। इस उड़ान के बाद वायुसेना को जल्द ही दो नए विमान मिलेंगे। इस ऐतिहासिक अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहेंगे और एचएएल की तीसरी उत्पादन लाइन का औपचारिक उद्घाटन करेंगे। एचएएल की दो उत्पादन लाइनें बंगलूरू में स्थित हैं।
वायुसेना को यह विमान पहले ही दो साल पहले मिल जाना चाहिए था, लेकिन अमेरिकी इंजन की समय पर उपलब्धता न होने के कारण इसमें देरी हुई। वायुसेना प्रमुख ने इस पर एचएएल की आलोचना की थी। हालांकि, एचएएल का कहना है कि 10 तेजस मार्क-1ए विमान तैयार हैं और अमेरिकी इंजन आते ही इन्हें फिट कर दिया जाएगा। ट्रायल के बाद ये विमान वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे। अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी से एचएएल को चौथा इंजन इसी महीने मिला है।
भारत ने इस कंपनी के साथ 2021 में 99 इंजनों की आपूर्ति के लिए 5,375 करोड़ रुपये का सौदा किया था। एचएएल की योजना 2026 से हर साल 30 तेजस लड़ाकू विमानों का निर्माण करने की है। वायुसेना लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रही है। चीन और पाकिस्तान की चुनौती के बीच वायुसेना को 42 स्क्वॉड्रन की आवश्यकता है, जबकि हाल ही में मिग 21 के रिटायर होने के बाद केवल 29 स्क्वॉड्रन बची हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए स्वदेशी विमानों का तेजी से उत्पादन करना आवश्यक है।
वायुसेना ने कहा है कि देश में किसी भी रक्षा प्रणाली को संकल्पना से तैनाती तक ले जाने की प्रक्रिया धीमी और कठिन है। वैश्विक साझेदार हमेशा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी नहीं दे सकते, इसलिए भारत को रणनीतिक स्वायत्तता के लिए अत्याधुनिक तकनीकों में लंबी छलांग लगाने की आवश्यकता है। तेजस मार्क-1ए तेजस एलसीए का आधुनिक संस्करण है। इसके 65 फीसदी से अधिक उपकरण भारत में बने हैं। यह चौथी पीढ़ी का हल्का और शक्तिशाली लड़ाकू विमान है। यह 2200 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भर सकता है और लगभग नौ टन वज़नी हथियार ले जा सकता है।
यह एक साथ कई लक्ष्यों को हिट कर सकता है और बियॉन्ड विज़ुअल रेंज मिसाइल व इलेक्ट्रानिक वॉरफेयर सूट से लैस है। तेजस मार्क-1ए को बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात करने की योजना है। पाकिस्तान की सीमा के निकट होने के कारण यह स्थान सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एचएएल के साथ 97 अतिरिक्त लड़ाकू विमानों के 62,370 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत वायुसेना को 68 सिंगल सीटर और 29 ट्विन सीटर विमान मिलेंगे। इस बैच की आपूर्ति 2027-28 से शुरू होकर छह वर्षों में पूरी होगी।
बढ़ते सामरिक तनाव के बीच तेजस परियोजना भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।

