पुणे में लोगों को पर्यावरण प्रदूषण के बारे में जागरूक बनाने के लिए विशाल फेंफड़ों को बिलबोर्ड पर लगाया गया

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नई दिल्ली/पुणे, 27 दिसम्बर () महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे में लोगों को वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे के बारे में जागरूक बनाने के लिए सोमवार को शहर के बीचों-बीच एक बिलबोर्ड पर माई राइट टू क्लीन एयर शीर्षक से कृत्रिम फेंफड़ों की एक विशाल जोड़ी लगाई गई।

इन्हें सफेद फिल्टर माध्यम से बनाया गया है और इनके पीछे बिलबोर्ड पर एक जोड़ी पंखे लगाए गए है जिनकी मदद से ये असली फेंफड़ों की तरह ही काम करते हुए वायु खींचने की प्रक्रिया को दर्शाएंगे।अगले कुछ दिनों में इनमें आसपास के क्षेत्रों से वायु में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर दिखने शुरू हो जाएंगे।

कुछ समय के बाद इन फेंफड़ों का रंग सफेद चाक से भूरे से काले रंग में बदल जाएगा और एक डिजिटल वायु गुणवत्ता मॉनिटर के साथ लगा बिलबोर्ड, वास्तविक समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) प्रदर्शित करेगा। यह बिलबोर्ड पुणे नगर निगम (पीएमसी) और एक गैर सरकारी संगठन परिसर द्वारा संभाजी गार्डन के बाहर लगाया गया है।

पुणे के मेयर मुरलीधर मोहोल ने विशाल फेफड़े के बिलबोर्ड का उद्घाटन करते हुए लोगों से बिलबोर्ड पर जाने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पहल करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।

पीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त डा. कुणाल खेमनार ने बताया कि किस प्रकार उनका विभाग वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

उन्होंने कहा पीएमसी वाहनों को इलेक्ट्रिक रूप में बदलने के साथ, चाजिर्ंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने की भी योजना बना रहा हैं ताकि लोग इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग कर सकें। इलेक्ट्रिक बसों की खरीद पर भी ध्यान दिया जा रहा है और अभी इस बेड़े में लगभग 600 इलेक्ट्रिक बसें हैं।

संगठन की परिसर की शर्मिला देव ने कहा वायु गुणवत्ता में सुधार में एक बड़ी बाधा यह है कि लोगों में इस मुद्दे को लेकर बहुत कम जागरूकता है। वर्ष 2012-13 और 2019-20 के बीच पुणे में पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में क्रमश: 70 प्रतिशत और 61 प्रतिशत की भारी वृद्धि देखी गई है। और फिर भी, शहर के नागरिक इस उभरते हुए स्वास्थ्य खतरे से अनजान हैं।

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे द्वारा जारी की गई नवीनतम उत्सर्जन सूची से पता चला है कि परिवहन क्षेत्र ने पीएम10 में 87.9 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 91 प्रतिशत का योगदान दिया है। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र ने पीएम10 में 33.8 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 32.9 प्रतिशत का योगदान दिया। आवासीय क्षेत्र ने पीएम10 में 107.7 फीसदी और पीएम2.5 में 57.9 फीसदी का योगदान दिया, जबकि हवा से उड़ने वाली धूल ने पीएम10 में 49.5 फीसदी और पीएम 2.5 में 38.1 फीसदी का योगदान दिया।

जेके

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
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