कोटा। संघर्ष चाहे कितना भी कठिन हो, लेकिन संकल्प और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है। नारी निकेतन संस्थान की अधीक्षक अंशुल मेहंदीरत्ता ने बताया कि नांता स्थित नारी निकेतन में रह रही बालिकाएं अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। निकेतन की बच्चियां अनुशासन और नियमित प्रशिक्षण के माध्यम से न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि वेस्ट मटेरियल को उपयोगी वस्तुओं में बदलकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रही हैं।
अधीक्षक ने बताया कि नारी निकेतन में रहने वाली बालिकाओं को विभिन्न संस्थाओं और प्रशिक्षण केंद्रों की मदद से सिलाई, कढ़ाई, पेंटिंग और हस्तकला जैसे प्रशिक्षण दिए जाते हैं। इन प्रशिक्षणों के दौरान बच्चियां अपनी रुचि और स्टॉफ की मदद से हुनर सीखकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। वेस्ट मटेरियल से ये आइटम बना रही हैं, जैसे कांच की बोतल पर पेंटिंग करके उसे सजावट के लिए उपयोग करना, वेस्ट कपड़े से मांगलिक कार्यों में दिए जाने वाले लिफाफे बनाना, कपड़े से विभिन्न प्रकार के दीवार हैंगिंग, साइट बैग, टोकरियां, शो-पीस, बैग और सजावटी सामान तैयार करना।
इन वस्तुओं की प्रदर्शनी समय-समय पर शहर में आयोजित होने वाले विभिन्न त्योहारों जैसे रक्षाबंधन, दीपावली और दशहरे पर होती है। प्रदर्शनी में खरीददारी करने वाले लोग इन सामानों को देखकर आश्चर्यचकित होते हैं और उनकी सराहना करते हैं। प्रशिक्षण देने वाली संस्थान की निदेशक भारतीय कौल ने बताया कि बच्चियां बेहद जिज्ञासु और मेहनती हैं। उन्हें थोड़ी सी दिशा मिलते ही वे नए-नए डिजाइन और आइडिया पर काम करने लगती हैं। कुछ बच्चियां तो मोबाइल पर विभिन्न प्रकार की डिज़ाइन देखकर भी सामान बनाती हैं।
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद बालिकाएं शादी होने के बाद भी सामान बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। उनका कहना है कि नारी निकेतन की बालिकाएं किसी भी रूप से सामान्य बच्चियों से कम नहीं हैं। बस उन्हें अवसर और मार्गदर्शन की जरूरत होती है।