पणजी, 30 मार्च ()। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि उनकी सरकार ने बेंगलुरु और नई दिल्ली में क्षेत्रीय प्राधिकार समिति (वन) के समक्ष महादेई नदी के मुद्दे पर अपनी बात को पुरजोर तरीके से रखा है।
सावंत ने बुधवार को विधानसभा में बजट भाषण के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद महादेई जल विवाद उनके समक्ष सबसे बड़े मुद्दों में एक था। उन्होंने कहा, ट्रायब्युनल ने बेसिन से 3.9 टीएमसी पानी देने का फैसला सुनाया था। मैंने तुरंत इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए कदम उठाया।
मुख्यमंत्री ने कहा हमने क्षेत्रीय प्राधिकार समिति (वन) के समक्ष बेंगलुरु में और नई दिल्ली में पूरी मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में फॉरेस्ट क्लियरेंस न दी जाए। गोवा के मुख्य वन्यजीव संरक्षक ने नोटिस जारी कर कर्नाटक को संबंधित सभी गतिविधियां रोकने का आदेश दिया है।
उन्होंने कहा, अब तक सुप्रीम कोर्ट से हमारे पक्ष में आदेश आए हैं और पर्यावरण कानूनों के तहत अनुमति के बिना कर्नाटक के पानी लेने पर रोक लगा दी गई है।
सावंत ने कहा कि सरकार ने प्रभावी तरीके से निर्माण कार्यो और महादेई से जलांतरण पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा, हमारी सरकार कर्नाटक की गतिविधियों और विभिन्न केंद्रीय अथॉरिटी के समक्ष लंबित मुद्दों पर करीब नजर रख रही है।
उन्होंने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर महादेई के संरक्षण के लिए अपना पक्ष रखा है। सावंत ने कहा, सदन की एक समिति भी बनाई गई है। पर्यावरण, वन और हाइड्रोलॉजी के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। सरकार के सभी विभाग मिलकर काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमें विश्वास है कि हम क्षति/जलांतरण को रोकने के लिए सभी उपाय करेंगे। हम महादेई जल प्रबंधन प्राधिकरण (प्रवाह) के गठन के लिए अपना पक्ष रखने में सफल रहे हैं। इससे कर्नाटक द्वारा अवैध रूप से पानी लेने पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
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