गुड़हल के फूलों को सर्दी में भी खिलाने के आसान उपाय

गुड़हल यानी हिबिस्कस उन पौधों में से है जो घर के बगीचे को तुरंत खूबसूरत बना देते हैं। इसके बड़े लाल फूल देखते ही मूड अच्छा कर देते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पौधा अच्छे से बढ़ रहा होता है, पत्तियाँ भी हरी रहती हैं, फिर भी फूल आना अचानक बंद हो जाता है। ऐसे में लोग या तो महंगे फर्टिलाइज़र खरीदकर डाल देते हैं, या फिर सोचते हैं कि शायद पौधा खराब हो चुका है। ठंड के मौसम में तो गुड़हल में फूल आना और भी कम हो जाता है।

लेकिन गार्डनिंग एक्सपर्ट प्रेम प्रकाश का कहना है कि इस समस्या का हल आपकी रसोई में ही छिपा है। किचन वेस्ट से बनने वाला एक साधारण घोल पौधे में ऐसी जान डाल देता है कि सर्दियों में भी गुड़हल खूब खिलता है। अच्छी बात यह है कि यह तरीका बिल्कुल आसान है और किसी केमिकल की जरूरत नहीं पड़ती। गुड़हल के पौधे के लिए जो घोल बनाया जाता है, उसमें सिर्फ तीन चीजें चाहिए आलू के छिलके, प्याज के छिलके, लहसुन के छिलके।

ये तीनों चीजें हमारी रसोई में रोज़ निकलती हैं और आमतौर पर कूड़ेदान में फेंक दी जाती हैं। लेकिन इन्हीं में पौधे को ताकत देने वाले ऐसे पोषक तत्व छिपे हैं, जो किसी महंगी खाद में भी नहीं मिलते। आलू के छिलकों में पोटेशियम भरपूर होता है। पोटेशियम फूलों की संख्या बढ़ाने में सबसे ज़रूरी माना जाता है। इससे पौधा मजबूत होता है और नई कलियाँ जल्दी बनती हैं। प्याज के छिलकों में सल्फर, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और कई तरह के मिनरल होते हैं। यह पौधे की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं, यानी पौधा बीमारियों से खुद लड़ने में सक्षम हो जाता है।

लहसुन में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। ये पौधे को कीड़ों और फंगल संक्रमण से बचाते हैं, खासकर सर्दियों में जब मिट्टी में नमी बढ़ जाती है और फंगस बनने की संभावना ज्यादा होती है। छिलकों को पानी में भिगोना एक बर्तन में आलू, प्याज और लहसुन के छिलके डालें। उसमें लगभग 1 लीटर पानी भर दें। बर्तन को ढककर 3 दिनों के लिए रख दें। इन तीन दिनों में छिलकों के अंदर मौजूद सभी पोषक तत्व पानी में घुल जाते हैं और पानी पौधों के लिए बेहतरीन टॉनिक बन जाता है।

तीन दिन बाद इस पानी को कपड़े या जाली से छान लें ताकि छिलकों के टुकड़े अलग हो जाएँ। बिना पतला किए इसे पौधों में डालना ठीक नहीं है। एक भाग घोल, दो से तीन भाग साफ पानी, इन्हें मिलाएँ और अब यह इस्तेमाल के लिए तैयार है। किचन वेस्ट से बना यह घोल गुड़हल के लिए किसी एनर्जी ड्रिंक जैसा काम करता है। इसमें मौजूद सल्फर, पोटेशियम और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पौधे की जड़ों को मजबूत बनाते हैं। पोटेशियम की वजह से पौधा नई कलियाँ बनाता है और फूलों की संख्या बढ़ती है।

माइक्रो न्यूट्रिएंट्स से पत्तियाँ हरी और ताज़ी दिखने लगती हैं, क्योंकि पौधे को पूरा पोषण मिलने लगता है। लहसुन में मौजूद एंटी-फंगल तत्व फंगस और कीड़ों को दूर रखते हैं। सर्दियों में फूल कम आने की समस्या इस घोल से काफी हद तक कम हो जाती है। यह घोल सिर्फ गुड़हल ही नहीं, गुलाब, मोगरा, कनेर, चमेली, ब्रह्मकमल, टमाटर, बैंगन, मिर्च, अन्य फल-फूल वाले पौधों पर भी असरदार है। गुड़हल को कम से कम 5–6 घंटे की धूप चाहिए। धूप न मिले तो पौधा सिर्फ पत्तियाँ बढ़ाता है, फूल नहीं देता।

हर मौसम बदलने से पहले हल्की छंटाई करने से पौधा नए शूट बनाता है और फूल जल्दी आते हैं। मिट्टी में नमी रहे, लेकिन पानी भरा हुआ न हो। गुड़हल को ज्यादा पानी पसंद नहीं। मिट्टी में 50% गार्डन मिट्टी, 25% खाद, 25% रेत या पर्लाइट मिलाकर लगाएँ, तो पौधा बहुत बेहतर बढ़ेगा। अगर आप घोल एक साथ ज्यादा मात्रा में बना लेते हैं, तो इसे ढक्कन वाले डिब्बे में 7–10 दिनों तक रखा जा सकता है। ध्यान रहे बदबू आने लगे तो इसे फेंक दें, धूप में न रखें, बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

सर्दियों में इसे 15 दिन में 1 बार डालें, गर्मियों में इसे 10 दिन में 1 बार डालें, बरसात में इसे 20–25 दिन में 1 बार डालें। जैविक घोल है, इसलिए नुकसान नहीं करता, लेकिन जरूरत से ज्यादा डालने पर पौधा कमजोर पड़ सकता है। पौधे को सिर्फ छाया में रखना, जरूरत से ज्यादा पानी देना, लगातार नाइट्रोजन वाली खाद डालते रहना, पुरानी मिट्टी को सालों तक न बदलना, गमले को छोटे साइज में रखना जैसी गलतियाँ गुड़हल में फूल न आने का कारण बनती हैं।

किचन वेस्ट से बनी खाद का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मिट्टी धीरे-धीरे उपजाऊ बनती है। केमिकल फर्टिलाइज़र त्वरित असर तो दिखाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे मिट्टी को कमजोर कर देते हैं। जबकि जैविक खाद से मिट्टी नरम रहती है, हवा और पानी जड़ों तक आसानी से पहुंचते हैं, पौधा प्राकृतिक तरीके से मजबूत होता है, लंबे समय तक फूल आते हैं। पौधे की कुछ बुनियादी ज़रूरतें होती हैं, जिन्हें सही तरह से पूरा करना बहुत ज़रूरी है। अगर ये बातें ध्यान में रखी जाएँ, तो गुड़हल पूरे साल खिलता रहता है।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal
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