हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में किया स्थानांतरित

Sabal Singh Bhati
3 Min Read

नई दिल्ली, 30 जनवरी ()। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को विशेष विवाह अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह के तहत अपने विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाले कई समलैंगिक जोड़ों की आठ याचिकाओं को सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। 6 जनवरी को, शीर्ष अदालत ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता प्रदान करने के संबंध में सभी याचिकाओं को क्लब और अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।

इसने कहा था, चूंकि याचिकाओं के कई बैच दिल्ली, केरल और गुजरात उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं, इनमें एक ही प्रश्न शामिल है, हमारा विचार है कि उन्हें इस न्यायालय द्वारा स्थानांतरित और तय किया जाना चाहिए। हम निर्देश देते हैं कि सभी रिट याचिकाएं इस कोर्ट को स्थानांतरित हो जाएंगी।

प्रधान न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने सोमवार को अपने आदेश में कहा, इस अदालत की राय है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में सभी मामले उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किए जाते हैं। कार्यालय रिकॉर्ड को तुरंत स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाता है।

याचिकाएं अब 13 मार्च को सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत के समक्ष सूचीबद्ध हैं।

मामले में याचिकाकतार्ओं की ओर से अधिवक्ता अरुंधति काटजू पेश हुईं।

अभिजीत अय्यर मित्रा ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एलजबीटीक्यूआईए जोड़ों के बीच विवाह के पंजीकरण का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय से स्थानांतरित की गई याचिकाओं में से एक याचिका प्रस्तुत की। उन्होंने दावा किया है कि अधिनियम ऐसे शब्दों का उपयोग करता है जो लिंग-तटस्थ हैं और समान-लिंग विवाहों को प्रतिबंधित नहीं करते हैं।

ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्डधारक जॉयदीप सेनगुप्ता और उनके साथी रसेल ब्लेन स्टीफंस द्वारा दायर एक अलग याचिका में अदालत से की प्रार्थना की गई है कि भारतीय नागरिक या ओसीआई कार्डधारक के विदेशी मूल के पति या पत्नी ओसीआई के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करने के हकदार हैं।

पिछले साल 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों द्वारा विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली दो याचिकाओं पर केंद्र और अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया था।

समलैंगिक जोड़े पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज द्वारा दायर एक अन्य याचिका में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता न देना अनुच्छेद 14 और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।

देश विदेश की तमाम बड़ी खबरों के लिए निहारिका टाइम्स को फॉलो करें। हमें फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। ताजा खबरों के लिए हमेशा निहारिका टाइम्स पर जाएं।

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times