भारत की आत्मनिर्भरता से ही विश्व में शांति संभव: मोदी

By Sabal SIngh Bhati - Editor

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विश्व की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए आत्मनिर्भरता को सबसे बड़ा मंत्र मानना होगा। मोदी ने गुजरात के भावनगर में समुद्र से समृद्धि कार्यक्रम में 34,200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल भावनगर का नहीं, बल्कि पूरे भारत की दिशा तय करने वाला है। मोदी ने 140 करोड़ देशवासियों का एक ही संकल्प होना चाहिए—चिप (सेमीकंडक्टर) हो या शिप (जहाज), हमें भारत में ही बनाने होंगे।

आत्मनिर्भर होने के अलावा भारत के पास कोई विकल्प नहीं है। दूसरों पर आश्रित रहने से आत्मसम्मान चोटिल होगा। भविष्य को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। मोदी ने कहा कि भारत समुद्री क्षेत्र में नेक्स्ट जेनरेशन सुधारों की ओर बढ़ रहा है। सरकार ने बड़े जहाजों को आधारभूत संरचना का दर्जा देकर इस क्षेत्र को मजबूती देने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि भारत का कोई बड़ा दुश्मन नहीं है, बल्कि हमारी निर्भरता ही हमारी कमजोरी है। आत्मनिर्भर भारत ही सभी समस्याओं का समाधान है।

मोदी ने कांग्रेस की नीतियों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश के सामर्थ्य को नजरअंदाज किया। आजादी के छह-सात दशक बाद भी भारत वह सफलता हासिल नहीं कर पाया जिसका वह हकदार था। कांग्रेस ने देश को लाइसेंस राज में उलझाए रखा और वैश्विक बाजारों से अलग-थलग रखा। जब वैश्वीकरण का दौर शुरू हुआ तो उसने केवल आयात पर भरोसा किया और इसमें भी घोटाले किए। इन नीतियों ने युवाओं को नुकसान पहुंचाया। मोदी ने कहा कि भारत सदियों से विश्व की एक बड़ी समुद्री ताकत रहा है।

भारतीय तटीय राज्यों में बने जहाज दुनिया भर के व्यापार को गति देते थे। 50 साल पहले तक हमारा 40 प्रतिशत व्यापार भारतीय जहाजों पर होता था, लेकिन कांग्रेस की गलत नीतियों से यह उद्योग ध्वस्त हो गया। आज केवल 5 प्रतिशत व्यापार ही भारतीय जहाजों पर होता है, बाकी 95 प्रतिशत के लिए हमें विदेशी जहाजों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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