भारतीय सेना ने अमेरिका से 104 जेवलिन मिसाइल खरीदने की दी मंजूरी

By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना ने अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए अमेरिका की टैंक किलर मिसाइल जेवलिन को खरीदने की मंजूरी दी है। सेना आपातकालीन खरीद प्रक्रिया के तहत 12 जेवलिन लांचर और 104 मिसाइलें खरीद रही है। भारतीय सेना ने बताया है कि यह खरीद इन्फैंट्री की एंटी आर्मर और कम दूरी तक हमला करने की क्षमता को तेजी से बढ़ाने के लिए की गई है। यही नहीं, भारत चाहता है कि वह अमेरिका की इस बेहद सफल मिसाइल को भारत की धरती पर खुद से बनाए।

इसके लिए भारत ने अमेरिका से मंजूरी भी मांगी है। इससे मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा। यह वही मिसाइल है जिसने यूक्रेन की धरती पर रूसी टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया। इस मिसाइल के आगे रूसी टी-72 हों या टी-90 टैंक, सब फेल साबित हुए। यूक्रेन समेत दुनिया के कई देशों की सेनाएं इसका इस्तेमाल कर रही हैं। सबसे आधुनिक एंटी टैंक मिसाइल अमेरिका की इस एफजीएम-148 जेवलिन मिसाइल को अमेरिका की कंपनी रेथियान और लॉकहीड मार्टिन ने मिलकर बनाया है।

इसे दुनिया की तीसरी पीढ़ी के कंधे पर रखकर दागे जाने वाली सबसे आधुनिक एंटी टैंक मिसाइलों में गिना जाता है। यह टॉप अटैक मिसाइल अपने लक्ष्य के ऊपर जाकर उस हिस्से में हमला करती है जहां पर आर्मर कमजोर होता है। वहीं इसका साफ्ट लांच डिजाइन इसे बंकर या बिल्डिंग से हमला करने की क्षमता देता है। इस सिस्टम में एक डिस्पोजेबल मिसाइल ट्यूब और फिर से इस्तेमाल किए जाने योग्य कमांड लांच यूनिट शामिल है। इससे यह तेजी से तैनात की जा सकती है। चीन और पाकिस्तान के खिलाफ कारगर है जेवलिन।

जेवलिन मिसाइल को कंधे पर रखकर दागा जा सकता है। इसने युद्ध के क्षेत्र में अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। एक्सपर्ट का मानना है कि इसे ब्रिगेड या कंपनी लेवल पर सेना के अंदर तैनात किया जा सकता है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां पर बड़े हथियार का इस्तेमाल व्यवहारिक नहीं होता है। इसमें छोटे इलाके या ऊंचाई वाले पहाड़ी या दुर्गम इलाके शामिल हैं। इसकी जोरदार मारक क्षमता इसे अचूक हथियार बनाती है। जेवलिन की मदद से भारतीय सेना की रैपिड स्ट्राइक यूनिट तेजी से हमला करने में सक्षम होगी।

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