राजधानी जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल हॉस्पिटल में रविवार को एक बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ, जब एक मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर शव सौंपने के लिए लाखों रुपए मांगने का गंभीर आरोप लगाया। इस घटना के बाद परिजन और ग्रामीणों ने अस्पताल परिसर में जमकर नारेबाजी की, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। जानकारी के अनुसार, महुआ कमलेटी निवासी विक्रम मीणा (42) को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद 13 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने आयुष्मान भारत और मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत इलाज करने से इनकार कर दिया और केवल नकद भुगतान की मांग की। करीब 13 दिन इलाज के बाद शनिवार को विक्रम की मृत्यु हो गई। परिजनों ने बताया कि उन्होंने इलाज के दौरान 6 लाख 39 हजार रुपए पहले ही जमा कर दिए थे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने 1 लाख 79 हजार रुपए अतिरिक्त मांगे और जब तक यह राशि नहीं दी गई, शव देने से मना कर दिया। नाराज परिजनों ने कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से संपर्क किया और मदद की गुहार लगाई।
मंत्री मीणा रविवार सुबह करीब 10:30 बजे अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और परिजनों से बात की। इस दौरान अस्पताल परिसर में भीड़ जमा हो गई और लोगों ने प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बातचीत के बाद अस्पताल प्रशासन को शव सौंपने पर मजबूर होना पड़ा। मंत्री मीणा ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा, “यह शव के साथ खिलवाड़ है, पैसे के अभाव में किसी परिवार को मृतक के अंतिम संस्कार से वंचित रखना अमानवीय है।” उन्होंने मौके पर मौजूद गांधीनगर थाना पुलिस को निर्देश दिया कि पीड़ित परिवार की शिकायत पर मामला दर्ज किया जाए।
मंत्री मीणा ने कहा कि यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की कमजोर मॉनिटरिंग और निजी अस्पतालों की मनमानी को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि वे इस घटना की लिखित शिकायत मुख्य सचिव को भेजेंगे और जरूरत पड़ने पर इसे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के संज्ञान में भी लाएंगे।

