जयपुर। जैसलमेर बस हादसे के बाद भी प्रदेश में यात्री वाहनों की सुरक्षा में सुधार नहीं हो रहा है। हाल ही में परिवहन मंत्री की मौजूदगी में हुई बसों की जांच में गंभीर लापरवाही सामने आई है, जिसमें बस संचालकों ने अग्निशामक यंत्र की जगह एलपीजी सिलेंडर का उपयोग किया था। यह खुलासा डिप्टी सीएम एवं परिवहन मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा की मौजूदगी में चौमूं में बसों की जांच के दौरान हुआ। इस जांच में जयपुर आरटीओ द्वितीय की टीम ने पांच बसों को जब्त किया, जिनमें से एक में इमरजेंसी और एक्जिट गेट नहीं मिला।
इन बसों की आरसी निलंबित करने से पहले बस मालिकों को नोटिस जारी किए जाएंगे। बैरवा ने हाल ही में सीकर से आते समय चौमूं में बसों की जांच की थी। मंत्री की जांच के बाद जब विभागीय अधिकारियों ने बसों की बारीकी से जांच की तो गंभीर लापरवाही सामने आई। एक बस की डिक्की में अग्निशामक यंत्र की जगह एक एलपीजी गैस सिलेंडर मिला, जिससे कोई हादसा हो सकता था। यह बस गुजरात से खाटूश्याम जी के लिए आई थी और रास्ते में कई आरटीओ-डीटीओ कार्यालय पड़ते हैं, लेकिन किसी ने इसकी जांच नहीं की।
मुख्यमंत्री ने ऐसी बसों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बस संख्या एमपी-44 जेड डी 9944 में 36 स्लीपर की जगह 48 स्लीपर मिले और इसमें इमरजेंसी व एग्जिट गेट नहीं था। इसी तरह बस संख्या एआर-11 एल 1111 में 30 की जगह 36 स्लीपर लगे मिले और इसमें भी एग्जिट व इमरजेंसी गेट नहीं था। तीन अन्य बसों को भी बॉडी कोड के उल्लंघन और इमरजेंसी गेट की जगह स्लीपर लगाने पर सीज किया गया। यात्रियों को सिंधीकैंप भेजा गया और चौमूं डीटीओ कार्यालय में पहुंचने पर हंगामा हुआ, जिसे डीटीओ अनूप सहरिया की समझाइश से शांत किया गया।
विभाग ने यात्रियों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की और उन्हें रात तीन बजे वैकल्पिक व्यवस्था से जयपुर (सिंधीकैंप) के लिए रवाना किया।

