जयपुर में अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों की ठगी का पर्दाफाश, 60 गिरफ्तार

(रिपोर्ट: श्रीवत्सन, जयपुर) ‘नकली कॉल असली डर’ और अमेरिका से लेकर जयपुर तक फैला मल्टी-मिलियन डॉलर फ्रॉड का जाल. जयपुर पुलिस ने ऐसी ठगी का भंडाफोड़ किया है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. ये धोखेबाज Amazon-Apple के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को लूट रहे थे और पैसा? वो सीधा गिरोह के फर्जी अकाउंट्स में और फिर क्रिप्टो के रास्ते भारत में पहुंचा रहे थे. पुलिस की गिरफ्त में आए ये वही साइबर ठग है जो जयपुर में बैठे-बैठे अमेरिकन्स से ठगी कर रहे थे.

मिली जानकारी के अनुसार, जयपुर की मालवीय नगर और प्रतापनगर की दो इमारतों में ये करोड़ो की ठगी का खेल करीब 10 महीने से चल रहा था. जानकारी मिलने पर पुलिस ने एक साथ छापा मारा. इस दौरान पुलिस ने 49 पुरुष और 11 महिलाओं समेत कुल 60 लोगों को गिरफ्तार किया. इन सभी लोगों के सामने 57 कंप्यूटर, 3 लैपटॉप चल रहे थे और अमेरिका में बैठे बेखबर लोग इस फ्रॉड से बेखबर थे. पुलिस कमिश्नर सचिन मित्तल की मानें तो ये गिरोह खुद को Amazon Customer Support, कभी Apple Service Center बताकर ठगी करता था.

मामले की जांच में सामने आया है कि इंटरनेट पर गूगल सर्च में यह गिरोह फर्जी कस्टमर केयर नंबर ऊपर चढ़ा देता था. अमेरिकी नागरिक जब तकनीकी मदद या रिफंड के लिए कॉल करते थे तो फोन उठाते थे इनके डायलर और अगले ही पल कॉल पहुंच जाती थी गिरोह के क्लोजर्स के पास.

यही क्लोजर्स खुद को ‘मैं बैंक से बोल रहा हूँ’ ‘मैं अमेरिकी सरकार से बोल रहा हूँ’ कहकर पीड़ितों का भरोसा जीत लेते थे और फिर शुरू होता था खेल- पीड़ितों के बैंक अकाउंट की जानकारी हासिल करना और ‘आपका खाता हैक हो गया है’ ‘नया खाता खोलिए’ कहकर उन्हीं से पैसा गिरोह के फर्जी खातों में ट्रांसफर करवाना. कई मामलों में तो आरोपियों ने FBI, IRS और अमेरिकी अदालतों के फर्जी नोटिस और वारंट भेजकर लोगों को डराया भी. पुलिस को जांच में पता चला कि कॉलिंग सिस्टम बेहद एडवांस्ड था.

वे EYEBEAM और VICI जैसी क्लाउड कॉलिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते थे. जिससे लोकेशन का पता लगाना लगभग नामुमकिन होता है. हर सिस्टम VPN पर चलता था. डेटा-क्लाउड पर और पैसा- पहले फर्जी खातों में, फिर क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर भारत वापस. पुलिस ने इस पूरे कॉल सेंटर गैंग पर BNS, IT Act और दूरसंचार अधिनियम 2023 के तहत केस दर्ज कर दिए हैं. अब सिस्टम और डिवाइस की फॉरेंसिक जांच होगी. पुलिस का कहना है कि यह तो सिर्फ शुरुआत है. अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन अभी और खुल सकते हैं.

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