पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपने 101 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। पार्टी ने जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने की रणनीति के तहत कुशवाहा और कुर्मी जातियों पर सर्वाधिक भरोसा जताया है, जो जदयू का परंपरागत सामाजिक आधार माने जाते हैं। जारी सूची के अनुसार, 13 उम्मीदवार कुशवाहा समाज से जबकि 12 प्रत्याशी कुर्मी जाति से आते हैं।
यह स्पष्ट संकेत है कि जदयू अपनी राजनीतिक जड़ें मजबूत करने के लिए अपने सबसे विश्वसनीय सामाजिक समूहों को एक बार फिर से केंद्र में रखकर चुनावी रणभूमि में उतर रही है। पार्टी ने 13 महिलाओं को टिकट दिया है, जो कुल प्रत्याशियों का लगभग 13 प्रतिशत है। यह जदयू की महिला सशक्तिकरण की नीति के अनुरूप कदम माना जा रहा है। पार्टी ने पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित वर्गों पर फोकस रखते हुए पिछड़ा वर्ग से सबसे अधिक 37 प्रत्याशी उतारे हैं। अति पिछड़ा और सामान्य वर्ग से 22 उम्मीदवार हैं।
अनुसूचित जाति से 15 उम्मीदवार, जिनमें ऋषिदेव, मांझी और रविदास समाज से 5-5 प्रत्याशी शामिल हैं और अनुसूचित जनजाति से 1 प्रत्याशी को टिकट दिया गया है। अल्पसंख्यक और यादव समुदाय का प्रतिनिधित्व भी संतुलित है। अल्पसंख्यक समुदाय (सामान्य और अति पिछड़ा वर्ग) से 4 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। यादव जाति के 8 प्रत्याशियों को भी मौका दिया गया है जो पारंपरिक रूप से विपक्षी दलों का आधार माने जाते रहे हैं। वहीं, सवर्ण जातियों में जदयू ने राजपूत समाज पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया है।
पार्टी ने 10 राजपूत, 9 भूमिहार, 2 ब्राह्मण और 1 कायस्थ को अपना प्रत्याशी बनाया है। यह संकेत है कि पार्टी सवर्ण समाज को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां इन जातियों का निर्णायक प्रभाव है। अन्य जातियों से धानुक जाति से 8 उम्मीदवार, मल्लाह जाति से 3 प्रत्याशी, गंगौत, कामत, तेली, पासी और कलवार जातियों से 2-2 उम्मीदवार शामिल हैं। जबकि, हलवाई, कानू, अग्रहरी, सूधि, पासवान, धोबी, सरदार/बांसफोर, खरवार और गोस्वामी समाज से 1-1 उम्मीदवार को टिकट मिला है।
