झिणकली गाँव (बाड़मेर) के देमां और लाछा माँ ने एक राजपूत की जान बचाने के लिए अपने प्राण त्यागे।
संवत 1809 (ई.सं. 1752 ) (झिणकली रा देमों अर लाछा मां)
लगै डगै ढाई सौ बरसों पहलां री बात
लगै डगै ढाई सौ बरसों पहलां री बात
झिणकली रा देमों अर लाछा मां री बात। संवत 1809 (ई.सं. 1752 ) रे लगै डगै ढाई सौ बरसों पहलां री बात मालांणी में जैतमाळौं रौ ठिकांणौ गुड़ौ। उण टांणै गुड़ा री गादी ऊपर साहेबखांजी। वारै कुंवर भाकरसिंघजी । भाकरसिंघ टणकौ रजपूत । नाम लिय हिरण खोड़ा व्है । आपरा रजपूत नै लेय नित रा धाड़ा पटकै । घोड़ा इण भांत रा कै हवाऊं वातां करै । तबेला में सात वीसी (140) घोड़ा। जोड में आसूदा चरै।
वांरी हींस, ठंडी रात रा कोसों तक सुणीजै। घोड़ों री हींस सुण, दुस्मणों रा काळजा थर-थर कांपै । यां दिनों जैसलमेर ऊपर रावळ अमरसिंघजी राज करै। ज्यां दिनों रजपूत कनै ऊंठ घोड़ा ईज रैहता। जोगांन-जोग कोई रोग सूं जैसलमेर रावल रै तबेला रा घोड़ा ओक पछै ओक मरण लागा। ओक दिन अहड़ौई आयौ जद फकत (सिर्फ) पनरा-बीस घोड़ाईज जीवता रया ।
ओक दिन जैसलमेर गढ में मजलिस लागोड़ी। भाटी, सोढा, हजूरिया, बलोच सब बैठा। बात घोड़ों ऊपर आई। कोई कैयौ मालकां घोड़ा तौ आंपांनै वा पड़सी। बिना घोड़ों, खौड़ा होयोड़ा बैठा हां। उतराद (उत्तर की ओर से) सूं कोई कटक आय जावै तौ मुकाबलौ कीकर करां?

दूजै कैयौ, “हां। बात साव साची । घोड़ा तौ लावणा जरूरी ।” रावळजी बोल्या, भाळ करौ इत्ता सांमठा घोड़ा कठै मिळै। पाछौ नांणा रौ (पैसों का) बन्दोबस्त भी करणौ पड़सी ।
उदैसिंघोत भाटियों मांयळौ अंक जणौ हंसियौ ।
रावळजी पूछियौ हंसिया क्यूं ठाकरों ?
आप हंसै जैहड़ीज बात कराई मालकां । नौणौं देय नै तौ वांणिया चीज मोलावै। आपां तौ लांठाई अर मलामली (जबरदस्ती) सूं लावों तौ देस में गल्लां चालै। आपणा बडेरा ई अहड़ा खेटा (असे काम) करता आया।
पहलां भाळ करां, घोड़ा कठै सांमठा (अधिक तादाद में) मिळ सकै? पछै जाय नै लेय आवां |
तीजोड़ौ बोल्यौ, सांमठा घोड़ा नैड़ा में तौ गुड़ै रांणा साहिबखांजी है। जोड में आसूदा चरै। वांरी हींस सूं रात रा दुस्मीयों रा काळजा धूजै । कै पछै कच्छ रै धणीं कनै ।
चौथै सलाह दीनीं कै, मालकां, गुड़ौईज नैड़ौ पडै । आपणै तौ अठैईज हाथ साफ करां ।
व्हासा ! औ नक्की राखियौ (तय किया) कै गुड़ै जाय घोड़ा काढे लावों। ओक हेरू नै (गुप्तचर को) भेज नै निगेह कराई कै जोय नै आवौ कठै घोड़ा चरै अर कित्ता है?
हेरु घूम-घूमाय नै दिन दसेक सूं पाछौ आय नै खबर दी कै • गुड़ा राणा रा सात वीसी घोड़ा, जोड़ में चरै। आदमी पांच-सात रुखाळी राखै। घोड़ा पांणी नदी में पीयै। रांणा साहबखांजी तौ बूढा है सो घर झालेन बैठा है। कुंवर भाकरसिंघ जोधपुर राजाजी साथै कोई कटक (युद्ध) में भेळौ गयोड़ी है।
तौ रांमजी भला दिन दै, जैसलमेर रावळजी जोसी कनै सूं चोखो मोहरत देखाय, आपरा टाळमा पांच दस विस्वासू भड़ लेय (वीर योद्धा) गुड़ा कांनीं खड़िया ( प्रस्थान किया ) |
दिन माथैक आयौ (सवैरे के दस-ग्यारा बजे) नै ओ मारवाड़ री सीम (सीमा) में आयोड़ौ वीठू चारणों रै गांम झिणकली रै ऊगमणी (पूर्वी दिसा) दिस में मेहासर तळा माथै आपरा घोड़ा री वागों खेंची (अर्थात् घोडे उस बेरे पर रोके ) । आगे बारहठ महादांनजी आपरै धन नै (मवैसी को) चड़स खांच नै पांणी पावै ।
रावळ जी रै मिनखां पूछियौ, मवैसी किण री?
महांदानजी आपरी ओळखांण देतों कैयौ, मवैसी झिणकली रै बारठ महादांन री। म्हूं आप महादांन ।
रावळ जी रै मिनखों बारहठजी नै आपरी ओळखांण दी। कैयौ रावळ जी खुद म्हारै साथै है ।
बारहठ जी घणा राजी होया । धन धड़ी धन भाग। जैसांणा रौ धणी आज म्हारै घरे? भला आया। यूं कैय बारठजी सब नै जै माताजी री करी । अमलों री मनवारों हुई। खारभजणों सूं मूंहडा मीठा कीना अर बारहठ जी पांणी सींचेन चूकता घोड़ों नै पांणी पायौ
रावळजी बारठजी नै कैयौ, बाजी, म्हे कोई जरूरी कांम सूं आगे जावां हां । आप देवी पुत्र हौ। म्हांनै आसीस देवो ।
बारहठजी रावळजी नै गांम में चाल नै रोटीयों जीमण री मनवार करी, पण रावळजी कैयौ म्हारै खताई है। म्हे सुगन विचार नै निकळिया हां, सौ आज ढबै ज्यूं नहीं।
बारहठजी आसीस देतां कैयौ ‘नवलाख लोवड़ीयाळी थांहरै भेळी । करसी करणीजी भली ।’
अर आसीस लेय रावळजी गुडै री दिस (दिसा), आपरा घोड़ा खड़िया बड़गड़ों बड़गड़ों घोड़ा गुड़ै री दिस व्हूवा जावै है। मिनखों घोड़ों री खेह उड़ती दीठी। व्है जाय व्है जाय। पूछण लागा ओ घोड़ों वाळा कुंण? पण किणनैई पतौ नीं, ओ कुंण हा ? कोई कैयौ कोई वाहरु है, किण ई कांई कैयौ, जिता मूंहड़ा जित्ती वातों। मिनखों इणों नै भूथेळौ (धूल का बवंडर) व्है ज्यूं जातांईजीठा (देखा) ।
आगे जाय नै देखै तौ घोड़ा जोड़ में चर रिया हा । पूरा सात वीसी (अक सौ चालीस)। देख नै यांरा काळजा ठाड़ा व्हे गया (कलेजा ठंड़ा हुआ)। फटोफट नींचे ऊतर रुखवाळियों नै बांध नीचे पटकिया। घोड़ा घेर, रात रा जोड़ बारै निकल्या। मिनख रौ बिच्यौई (बच्चा) सांमें नीं आयौ ।
औ तौ आया उण सागेईज (वही) मारग पड़िया सो व्हैगी आवजो झिणकली। झिणकली भी ओ सागे टेम पूगा जद बारहठजी आपरै धन (मवैसी) नै पांणी पाय रिया हा । भाटियों नै देख बारहठ जी घणा राजी होया। सोच्यौ जरूर ओ घोड़ा चोरी कर नै लाया है। पण भाटियों रै तौ गुटकी चोरी री । यारै चोरी रौ कोई मेहणौ नहीं। ओ तौ भाटियां खांनदांनीं रै पेसो।
रावळजी बारहठजी सूं मिल्या । पगे पड़िया । अर कैयौ बारहठजी बा ! आपरी आसीस सूं म्हे राजी खुसी आय गया। पग में कांटौई नीं भागौ। अबै आसीस देवो के म्हे राजी खुसी घरे पूग जावौं ।
बारहठ जी आसीस दीवी।

अबै रावळजी कैयौ, देवी पुत्र। म्हारौ कांम आपरी आसीस सूं बण गयौ । फरमावी म्हूं आपनै कांई नंजर करूं?
बारहठजी कैयौ म्हारै सब बात रा थाट । म्हारै कांई नीं चाहीजै । रावळजी घणीज खंच करी (जिद किया) जद बारहठजी कैयौ ‘आप इत्ती खंच करौ तौ म्हनै वचन देवो तौ म्हूं मांगू ।’
रावळजी कैयौ ‘अ वचन:’
जद बारहठजी महादांन जी बोल्या, ‘म्हारै घरै गिराब रावत भगवानदासजी रै भाई री बेटी है। वांनै म्हैं वचन दियौ हौ के आपरी बाई नै म्हूं बेटी व्है ज्यूं राखूंला अर चोखा घर में परणावूंला । आपरौ ब्याव म्हूं इण बाई साथै कराणौ चाहूं।
रावळजी वचनों में बाधोड़ा (बंधे हुए)। हूंकारौ दियौ । पण कैयौ बाई नै जैसलमेर लाय नै परणावणी पडैला ।
बारहठजी हूंकारौ दियौ, अर चोखो मोहरत देखाय बाई नै परणाय दी। इणहीज गिराब वाळी बाई, झिणकळी रै बारठौं अर गिराब रावतजी नै, रावळजी नै कैय अंक-ओक हवैली जैसलमेर में दिराई अर बाईसा री तरफ सूं मेहासर ऊपर जैसलमेर सूं दो पाट गायों री खेळी सारुं भेजिया।
गुडै में लारै हाकौ हूवौ कै रांणाजी रा घोड़ा जोड़ मांय सूं कोई ले गयौ । रांणा सायबदांन जी बूढा । चालीजै नहीं। कुंवर जी जोधपुर राजाजी साथै कोई कटक में भेळा गयोड़ा। वाहर कुंण चढै? जद साहेबदांन जी आपरै भाई नै वाहर भेजिया।
ओ पग टोळता-टोळता जैसलमेर पूगा। रावळजी नै थोरा नौरा करिया । आंपां पीढियों रा गिनायत हां, ड़ोढी रिस्तेदारी है। माहोमाह रौ मांमलौ है, घोड़ा पाछा दौ। पण कुंण कहै नै किण री बात । भाटी साफ नट गया। कैयौ पाछा देणा होत, तौ लाया कैण नै (किसलिये) ।
भाटियों रै, नै गुड़ा वाळौं रै पैहला तौ झौड़ हुई अर पछै हाथापाई ऊपर आय गया । इण हाथापाई में गुड़ा रांणा रै भाई रौ पोतीयौ (साफा) खिर गयौ ( गिर गया ) । वां उण ठौड़ ईज अंगोछौ बांध, गुड़ै कांनीं व्हीर व्है गया ।
अठीनै जोधपुर राजाजी जीत रा डंका बजाता पाछा जोधपुर पूगा। गोठों हुई। गुड़ा भाकरसिंघ गोठों बीजी जीम नै घरै जावण री सीख लेय गुड़ै पूगा ।
रैयांण हुई। काकै नै अंगोछौ बांधियोड़ौ देखियौ तौ कारण पूछियौ । मिनखां मांडेन बात कही। साफौ तौ भाटियों रे ओठै पड़ियौ है। काकै कैयौ थुं सपूत है छाती व्है तौ म्हारौ साफौ अर घोड़ा पाछा लेय आ ।
भाकरसिंह रांगड़ तौ हतौईज अर खारीलौ पण घणौ । काकै री बात सुण रीसां भरांणौ । करौ कटक री तैयारी ।
आपरा विस्वासू टाळमा मिनखों नै लेय भाकरसिंघ जैसलमेर कांनीं घोड़ा खड़िया। गुड़ा अर गढ्ड़ा रै कोई वैर में गढड़ै वाळौं ओक मुसलमान, सुमेजा उस्मान नै, ओळ में (अमानत के तौर पर) गुड़ै वाळौं नै दियौ हौ । उण सुमेजा नै ई भाकरसिंघ जी आपरै कटक रै साथै लियौ ।
मारग में (रास्ते में) बावड़ होया (खबर लागी) कै गुड़ा री दो घोड़ियों, हरसांणी रै भाटी फतेसिंघ रै घरे बंधियोड़ी ऊभी है। भाकरसिंघ आपरौ कटक हरसांणी सांमी मोड़ियौ । हरसांणी रै खारै पार में जाय डेरा दीना अर भाटीयों नै कैहवायौ के म्हारा घोड़ा अर चोर नै म्हांनै सूंपौ।
भाटियों कैयौ, भला पधारिया। आप थोड़ी जेझ करौ, जीमण अरोगो, म्हे चोर रौ पतौ लगाय आपनै सूंपौ। अ आपरा घोड़ों रै पाखळा देय सुस्तावण लागा, जित्तै भाटियों फतेसिंघ नै समाचार भेजिया ‘फतिया थारा बाप घोड़ों री वाहर आया है। घोड़ा लेय निकळ आघेरो (दूर चला जा ) ।’
फतैसिंघ तौ घोड़ा ले बेगो परघाळ रा (सुबह जल्दी) ठेका दीना (चला गया ) । सुबे अमल पांणी कराय भाटियों भाकरसिंघ रै कटक नै झारा कराया (नाश्ता) अर कैयौ कै ठाकरौं चोर थांहरौ फतेसिंघ, पण आज वो घरे कोयनीं अर नीं घोड़ियौं अठै नजर आवै। व्है सके जैसलमेर कांनीं गयौ व्है ।
गुड़ा रौ कटक, लारै व्हीर होयौ । आगे फतेसिंघ नै लारै गुड़ा रौ भाकरसिंघ । फतेसिंघ झिणकली पूगौ नै लारै भाकरसिंघ रै घोड़ों री खेह उड़ती नजर आई। फतेसिंघ सोच्यौ म्हनै गुडै वाळा ठेट जैसलमेर नीं पूगण दै अर बीच में पकड़ लियौ तौ भाकरसिंघ म्हारै में हीड़ा करैला (मेरे से ज्यादती करेगा) सोच्यौ झिणकली बारहठों रौ गांम है। अठै गयों पछै भाकरसिंघ म्हारौ कांई नीं बिगाड़ सकै अर म्हारौ बचाव व्है जावैला।
आ बात सोच फतेसिंघ तौ झिणकली गांम में वड़ गयौ (घुस गया)। मांय वड़तांई (घुसते ही) अंक बाड़ा में देमां मा गायों दूहती नजर आई। फतेसिंघ जाय नै पगे पड़ियौ । कैयौ, ‘मां! म्हूं हरसांणी रौ भाटी फत्तौ। म्हारै लारै गुडै रौ कटक आय रियौ है । म्हनै वौ गुडै वाळौ भाकरो मार देसी। सुभाव उण रौ घणौ आकरौ । म्हूं अबै थारी सरण में हूं। धूं म्हारी रख्या कर (रक्षा कर) ।’
देमा मा बोल्या, ‘दीकरा थू गांम में जा । थारी रख्या मा करणीजी करैला ।’ औ देमा मा गूहड़ नारांणदासजी री बेटी, गांम गूहड़ा रा अर झिणकली रै बारहठ धांनाजी नै परणायोड़ा ।
फतेसिंघ तौ गांम में गयौ अर लारै रौ लारै भाकरसिंघ रौ कटक आय पूगो। देमा मा अजे तक गायों दूहवै।
कनै व्हैन भाकरसिंग घोड़ै चढियौ गांम में जावण लागौ, तौ देमा मां कैयौ, ‘भाई आगे चारणों रौ गांम है अर सब रावळा चारणों रा है। धूं घोड़ा रौ पागड़ौ छोड़, नींचे ऊतर । चढियै घोड़ै गांम में जावै, थनै लाज नीं आवै । थंईज मरजादौं तौड़ौला तौ उणों री रुखवाळी कुंण करैला?’
भाकरसिंघ खार खायोड़ौ तौ हौईज (गुस्से में तौ था ही), ऊंची आवाज में बोल्यौ, ‘बोली मर ! आई है म्हनै मरजादों बतावण वाळी ।’
देमा मा कयौ, भाई मूंहड़ा मांऊं मीठा बोल काढ, मीठा । कोई भली बात कर दीकरा । धूं भला घर रौ मांणस दीखै ।
पण भाकरसिंघ री मौत माथै चकारा खावै । सही कैयौ है’विनास काले विपरीत बुद्धि’ भाकरसिंघ देमा मां सूं खासी झौड़ करी। जद भाकरसिंघ सावईज (बिल्कुल) मरजादों तौड़, देमा मा नै नीं कहै जैहड़ा बोल कया, तौ मा नै रीस आई। गाय दूहतौं दूहतौं कैयौ ‘ठाकरौं म्हनै दीसे थांरी मौत माथै भमै ।’
‘ओहड़ीज सत वाळी है, तौ बता कद है म्हारी मौत ?’ ‘छ महीना रै मांय- मांय ।’
छ महीना तौ अळगा घणा । रजपूत तौ व्हैतौई कजीयौ (लड़ाई) कर नै मर जावै । उण नै छ महीना कदै आवै ?
‘तौ म्हरौ बारीयौ अर थारौ तीजो उणीज दिन व्हैला । ‘
‘थू मोट्यार है कांई ठाह कदे मरसी अर कदै थारौ बारियौ होसी, यूं कैय उण गाय रै तड़ी बाही (लकड़ी मारी) । गाय ऊछली, अर देमा मा रै हाथ सूं चरुड़ी ( दूध दूहने का बर्तन) छूट गई। दूध सब दुल गयौ ।’
ठाला भूला थें म्हारी गाय रै तडी बाही । खोज जाय थारौ । अर रीस में आयोड़ी आपरी लोवड़ी आघी फेंकी। माथा रा केस चररुड़ करता ऊभा होया । आंख्यां मांय सूं खीरा बरसण लागा। झुंपड़ा में जाय लांपों लगाय जीवती बळगी।
भाकरसिंघ रै मिनखों कैयौ, भूंड़ी हुई (बुरा हुआ)। बात बात में देखतां देखतां चारणी जीवती बळगी। चालौ पाछा । नाठौ जकौ बात करौ ।
पण भाकरसिंघ रै मौत माथै भमै । कैयौ जावौं कठै। अजे तौ घणा वांना बाकी है। आपरा मिनखौं नै कैयौ, जाओ गांम में धांन है वो लाय नै घोड़ौ नै चारौ अर घोड़ौं रै चरियौं पछै पूरै गांम रै लांपौ लगाय नै बाळ दौ।
थोड़ा मिनख गांम में दांणौ लेवा गया। ओक वजीर री नजर महादांनजी रै घरे बंधियोड़ा घोड़ा ऊपर पड़ी। वजीर मांय जाय नै घोड़ौ खोलण लागौ अर महादांनजी री बाई लाछों, आय नै कैयौ ‘ठाकरों घोड़ौं मत खोलौ ।’
‘जद वजीर कैयौ, म्हूं ठाकर नीं हूं, म्हूं तौ चाकर हूं।
‘ लाछौं कैयौ, ‘जा थारा छोकरा ठाकर होसी’
वजीर तौ घोड़ौं छोड़ नै भाकरसिंघ कनै जाय नै कैयौ, चारणों री बाई घोड़ो खोलण नै वरजै (मना कर रही है) ।
भाकरसिंघ काळ रौ खायोड़ौ तौ होईज (गुस्से में तौ था ही), उण वजीर नै आवळ कावळ बोलतौ, खुद गयौ महादानजी रै घरे अर घोड़ो खोलण लागौ । लाछौं आय नै घोड़े री वाग पकड़ी, नै कैयौ घोड़ो नीं लेजावण दूं। भाकरसिंघ तौ तरवार काढ नै वाही सौ लाछौ रौ हाथ अळगौ जातौ पड़ियौ (हाथ दूर जाकर गिरा) ।
लाछों रीस में आय नै स्राप दीनो, ‘दुस्टी धूं गुड़ा रा झाड़ नीं देखे।’ मारग मेईज ( रास्ते में ही) थारी जीभ बारै निकळैला अर थारी मौत व्हैला । यूं कैय वा आपरी टाप (छपरे में) में जाय लांपौ लगाय जीवती बलगी।
अठीनै तौ टाप सूं झाळौ (लपटें) निकळी अर अठीनै कांई ठाह कीकर, भाकरसिंघ जोर सू चिल्लाटी कर नै च्यार पांच हाथ उछळियौ, अर हेठो ठोकांणै (नींचे गिरा) । मूंहडा मांय सूं खून री धारौं छूटी। आंख्यां रा डोळा भम गया। हाथ पग करड़ा पड़ गया ।
भाकरसिंघ अर चारण्यिौं रै झौड़ व्हैण लागी तौ गांम मांय सूं चारण भी संभ नै आय गया। दोनूं कांनीं तरवारों अर गेड़ियौं री रीठक उड़ी। भाकरसिंघ रा बारह रजपूत मारांणा अर चवदा चारण गळे कटारी खाय नै मूंआ (मरे) ।
साथै आयोड़ा मिनखौं कैयौ, गजब व्हे गया। चारणियौं रौ स्राप लागौ । इण सूं बदतौ वे व्हले कोई स्राप देवै, अठै सूं भाग छूटौ ।
भाकरसिंघ नै घोड़े ऊपर बांध, ओ सब गुड़ै कांनीं घोड़ा खड़िया । देदड़ियार रै ऊगमणौ अंक नाड़ौ है ओठै रुकिया। थोड़ो फूंकारौ (विश्राम) खाय, घोड़ा खड़िया सो गुड़ा रै कनै डाबड़ गांम है, ओठै पूगा नै भाकरसिंघ घोड़ा माथेऊं नींचे पड़ियौ ।
लोगों कैयौ, जावो गुडै जाय नै रांणाजी सायबखांजी नै खबर दौ । मिनखों जाय नै रांणाजी नै खबर दी। रांणाजी घणौ अमरोस (दुःख) करियौ। कैयौ, कंवरजी भूँड़ो करियौ । चारणों नै सताया । म्हूं उण रौ मूंहडौ नीं देखूं।
लोग पाछा आया। देखै ज्यूं तौ भाकरसिंघ री जीभ बारै आयोड़ी, अर मूहंडा सूं खून पडै। देखतां-देखतां भाकरसिंघ रौ हंसो उड़ गयौ (प्रांण उड़ गये ) । मिनखौं जाय नै दाग दीनौ । सायबखांजी अंक दूहो कैयौ मारण गयौ थौ मार, चारण व्हैतां चूंथिया, ओ बातां ओनाड़, भली न्ह की थें भाकरा ।। ‘घोड़ा लेवण नै तौ गयौ हो अर मारग व्हैतां, धूं चारणों नै सताया, हे भाकरा ! आ बात थें भली नीं करी’
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