जोधपुर। सुप्रीम कोर्ट ने जोधपुर के लूणी तहसील में जोजरी नदी के प्रदूषण मामले में गंभीरता दिखाई है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बैंच ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। ग्राम पंचायत अराबा की याचिका पर कोर्ट ने 9 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है और अगली सुनवाई पर आदेश पारित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और चीफ जस्टिस के निर्देश पर मंगलवार को सुनवाई के लिए रखा गया था।
सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी नदी में अपशिष्ट निपटान पर आदेश दिए हैं। राजस्थान सरकार के डिप्टी अटॉर्नी जनरल ने एक एफिडेविट फाइल करने की इच्छा जताई, जिसे कोर्ट ने अनुमति दी। अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रवीण आचार्य के अनुसार अराबा पंचायत की अर्जी जोजरी प्रदूषण से जुड़ा मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ था। जस्टिस विक्रमनाथ की कोर्ट ने कहा कि हम 9 अक्टूबर तक दशहरा की छुट्टियों के बाद में इसके अंदर ऑर्डर पास करेंगे।
आचार्य ने बताया कि पूरा मामला जोधपुर की ग्राम पंचायत अराबा द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर एक अर्जी से शुरू हुआ था, जिसमें 3 करोड़ रुपए का कंपनसेशन देने के लिए कहा गया था। एनजीटी में कहा गया था कि वहां की इंड्ट्रिरयल बॉडीज से निकलने वाले एफ्लुएंट का सही तरीके से ट्रीटमेंट नहीं किया जा रहा और फैक्टरियों से निकलने वाले डिस्चार्ज को सही तरीके से ट्रीट नहीं किया जा रहा। इसकी वजह से वहां का फ्लोरा-फॉना बुरी तरह प्रभावित है। सभी इंड्ट्रिरयल बॉडीज की अथॉरिटीज के साथ साठगांठ है।
फैट्रिरयों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी की वजह से अराबा, डोली सहित आसपास के कई गांवों में जोजरी नदी का पानी हर तरफ काला नजर आता है।

