पीएम की आलोचना वाला लेख साझा करने वाले को जजशिप देने से इनकार नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, 19 जनवरी ()। सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता आर. जॉन सत्यन को मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की अपनी सिफारिश दोहराई है, जबकि केंद्र सरकार ने उनकी फाइल यह कहते हुए वापस कर दी थी कि उन्होंने प्रधानमंत्री की आलोचना वाला लेख साझा किया था।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और के.एम. जोसेफ शामिल हैं। कॉलेजियम ने एक बयान में कहा कि सभी सलाहकार- जस्टिस कौल, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने उन्हें पदोन्नति के लायक पाया है।

बयान में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया है : खुले स्रोतों के अनुसार, उनके द्वारा किए गए दो पोस्ट, यानी द क्विंट में प्रकाशित एक लेख को साझा करना, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की गई थी और एक अन्य पोस्ट, जो 2017 में मेडिकल उम्मीदवार अनीता द्वारा आत्महत्या करने के बारे में थी, जिसे हत्या के रूप में चित्रित किया गया और राजनीतिक विश्वासघात बताया गया, क्योंकि अनीता ने नीट पास नहीं कर पाने के कारण अपना जीवन खत्म कर लिया। यह पोस्ट शेम ऑफ यू इंडिया टैग के साथ नोटिस में आया था।

कॉलेजियम ने कहा कि सभी परामर्शदाता न्यायाधीशों की सत्यन की उपयुक्तता के बारे में अनुकूल राय थी। यह भी कहा गया, खुफिया ब्यूरो ने बताया है कि उनकी एक अच्छी व्यक्तिगत और पेशेवर छवि है और उनकी सत्यनिष्ठा के खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल नहीं आया है। सत्यन ईसाई समुदाय से हैं। आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका कोई राजनीतिक झुकाव नहीं है।

इसमें आगे कहा गया है कि इस पृष्ठभूमि में सत्यन द्वारा की गई पोस्ट के संबंध में आईबी की प्रतिकूल टिप्पणी, यानी द क्विंट में प्रकाशित एक लेख और 2017 में एक मेडिकल उम्मीदवार द्वारा आत्महत्या करने के संबंध में एक अन्य पोस्ट को साझा करने से सत्यन की उपयुक्तता या चरित्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

बयान कहा गया, इस दृष्टि से कॉलेजियम की सुविचारित राय है कि आर. जॉन सत्यन मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए उपयुक्त हैं। इसलिए कॉलेजियम अधिवक्ता आर. जॉन सत्यन की मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए 16 फरवरी, 2022 की अपनी सिफारिश को दोहराने का संकल्प लेता है। कॉलेजियम आगे सिफारिश करता है कि मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए इस कॉलेजियम द्वारा आज अलग से अनुशंसित कुछ नामों पर न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के मामले में उन्हें वरीयता दी जानी चाहिए।

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
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