काकोरी में दलित के साथ अमानवीय घटना पर सपा सांसद का सत्याग्रह

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के काकोरी में एक दलित व्यक्ति के साथ हुई कथित अमानवीय घटना ने अब राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आमने-सामने हैं। अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने इसे दलितों पर अत्याचार का मामला बताते हुए काकोरी शहीद स्मारक पर दो दिन पहले धरना दिया, वहीं बीजेपी नेताओं और स्थानीय लोगों ने आरोपी के बचाव में उतरते हुए इसे एक ‘सज्जन परिवार’ को बदनाम करने की साजिश करार दिया है।

शुक्रवार को धरने पर बैठे सांसद अवधेश प्रसाद ने घटना पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और कठोर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अब सड़कों से लेकर विधानसभा तक लड़ी जाएगी। “अंग्रेजों के जमाने में भी किसी को पेशाब नहीं पिलाया गया था।” — अवधेश प्रसाद, सांसद, समाजवादी पार्टी। सपा सांसद ने लगाए गंभीर आरोप। अवधेश प्रसाद ने आज एक प्रेसवार्ता में आरोप लगाया कि दीपावली के दिन एक वृद्ध और बीमार दलित व्यक्ति मंदिर के चबूतरे पर बैठा था।

उन्होंने दावा किया कि खांसते समय अनजाने में मूत्र निकल जाने पर बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। सांसद का आरोप है कि दलित व्यक्ति के गले पर पैर रखकर उसे जबरन मूत्र पिलाया गया। उन्होंने कहा कि इस घटना के विरोध में वह 16 नवंबर को शहीद ऊदा देवी पासी की पुण्यतिथि पर सत्याग्रह की घोषणा करेंगे। बीजेपी और स्थानीय लोगों का दावा- यह एक साजिश है। दूसरी ओर, इस मामले में गिरफ्तार आरोपी स्वामी कांत उर्फ पम्मू के पक्ष में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और स्थानीय लोग खड़े हो गए हैं।

जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार सिंह और वरिष्ठ भाजपा नेता मिथिलेश कुमार यादव ने कहा कि स्वामी कांत का परिवार बेहद सज्जन है और यह उन्हें बदनाम करने की साजिश है। स्थानीय लोगों ने इस विवाद को मंदिर में होने वाले एक पुराने कार्यक्रम से जोड़ा है। लोगों के अनुसार, कई वर्षों से पितृ पक्ष के दौरान मंदिर परिसर में नौटंकी का आयोजन होता था, जिसमें नर्तकियां डांस करती थीं। स्वामी कांत के परिवार ने मंदिर की पवित्रता का हवाला देते हुए इसका विरोध किया, जिसके बाद प्रशासन ने आयोजन की अनुमति बंद कर दी।

लोगों का आरोप है कि नौटंकी बंद होने से नाराज कुछ लोगों ने ही यह साजिश रची है। ‘निष्पक्ष जांच हो’ स्थानीय निवासियों का कहना है कि आरोपी स्वामी कांत स्वभाव से सज्जन व्यक्ति हैं और पीड़ित रामपाल भी अक्सर मंदिर में ही रुकते थे, उनके साथ कभी कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ। इस बीच, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता डॉ. आशीष दीक्षित ने भी इस कृत्य को निंदनीय बताते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और जांच जारी है। अयोध्या के निमंत्रण पर भी बोले सांसद। इस राजनीतिक सरगर्मी के बीच सांसद अवधेश प्रसाद ने अयोध्या दीपोत्सव में निमंत्रण न मिलने पर नाराजगी भी जाहिर की। उन्होंने कहा, “अगर बुलाया गया होता तो मैं नंगे पांव दौड़कर आता।” वहीं, 25 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी के राम मंदिर शिखर ध्वजारोहण कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि यदि उन्हें बुलाया जाएगा तो वह जरूर जाएंगे।

Share This Article
Exit mobile version