कोटा। कोटा को स्मार्ट सिटी और पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के प्रयासों के बीच, शहर के लिए बनाए गए दो आधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशनों का उपयोग नहीं हो रहा है। इन ट्रांसफर स्टेशनों पर 15 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन मशीनरी धूल खा रही है। निगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने वाला है, और जनता को इन ट्रांसफर स्टेशनों का लाभ नहीं मिल सका है।
शहर से प्रतिदिन लगभग 450 से 500 टन कचरा निकलता है, जिसका आधुनिक तरीके से परिवहन करने के लिए नगर निगम कोटा उत्तर ने 15 करोड़ रुपए की लागत से दो ट्रांसफर स्टेशन बनाए। एक स्टेशन खेड़ली फाटक में और दूसरा उम्मेदगंज में है। दोनों स्टेशन तैयार हैं, लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद शुरू नहीं हो सके हैं। प्रत्येक ट्रांसफर स्टेशन की लागत 7.50 करोड़ रुपए है। इनका सिविल वर्क पूरा हो चुका है और मशीनरी भी स्थापित है, लेकिन विवादों के कारण ये शुरू नहीं हो पा रहे हैं।
कांग्रेस सरकार के समय में इन ट्रांसफर स्टेशनों का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, और अब भाजपा सरकार के लगभग दो साल हो चुके हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि आपत्तियों के कारण दोनों ट्रांसफर स्टेशन अभी तक चालू नहीं हो पाए हैं। इस स्थिति के कारण, जनता की कमाई के 15 करोड़ रुपए का सही उपयोग नहीं हो रहा है।
कोटा उत्तर निगम क्षेत्र के 70 वार्डों से निकलने वाला कचरा अभी थेगड़ा स्थित ट्रांसफर स्टेशन या नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड पर सीधे जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को गंदगी और दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है। जबकि कोटा दक्षिण क्षेत्र में दो ट्रांसफर स्टेशन सही तरीके से कार्य कर रहे हैं। ये ट्रांसफर स्टेशन कांग्रेस सरकार के समय में बनाए गए थे और इनके शुरू होने से क्षेत्र के लोगों को लाभ होगा। हालांकि, अधिकारियों ने इन्हें शुरू करने में अनिच्छा दिखाई है।

