जब भी प्रेम की चर्चा होती है, भगवान कृष्ण का नाम सबसे पहले लिया जाता है। श्री कृष्ण को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। पुराणों के अनुसार, श्री कृष्ण की 16,108 रानियां थीं, जिनमें रुक्मणी और सत्यभामा प्रमुख हैं। लेकिन जब प्रेम की बात आती है, तो राधा का नाम सबसे ऊपर आता है। हर कोई ‘राधे श्याम’ का उच्चारण करते हुए कृष्ण और राधा के प्रेम को याद करता है। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 19 अगस्त को मनाया जा रहा है, इस अवसर पर जानें कि कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया।
राधा कौन थीं? पद्म पुराण के अनुसार, राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थीं। कुछ विद्वान मानते हैं कि उनका जन्म यमुना नदी के पास रावल गाँव में हुआ था। राधा जी की प्रेम कहानी श्री कृष्ण के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। जब श्री कृष्ण की आयु आठ वर्ष थी, तब उनकी मुलाकात 12 वर्ष की राधा से हुई। दोनों एक-दूसरे से विवाह करना चाहते थे, लेकिन राधा के परिवार ने उनके प्रेम को स्वीकार नहीं किया।
कई कारण बताए जाते हैं कि राधा और कृष्ण का विवाह क्यों नहीं हुआ। एक कारण नारद जी का श्राप भी माना जाता है। इसके अलावा, कुछ मानते हैं कि राधा ने स्वयं कृष्ण से विवाह करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उन्होंने खुद को महलों के जीवन के लिए उपयुक्त नहीं समझा। राधा ने यह महसूस किया कि कृष्ण ईश्वर के अवतार हैं और वे भक्ति में लीन थीं।
कृष्ण ने राधा के पास लौटने का वादा किया था, लेकिन वे मथुरा चले गए और कभी वापस नहीं आए। उनका प्रेम एक आध्यात्मिक स्वरूप का था, जो यह सिखाता है कि प्रेम केवल शारीरिक संबंध नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मीयता का प्रतीक है। यही कारण है कि जहाँ भी कृष्ण का नाम आता है, वहाँ राधा का स्मरण स्वाभाविक है।