हिमाचल में भूस्खलन से बढ़ी मौतों की संख्या, स्कूल बंद

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

शिमला। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के कारण हुए ताजा भूस्खलन में 3 और लोगों की मौत हो गई है, जिससे 20 जून से अब तक राज्य में मानसून जनित हादसों में मृतकों की संख्या 325 तक पहुँच गई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शिमला जिले के जुन्गा में भूस्खलन की एक ताजा घटना में वीरेंद्र कुमार (35) और उनकी 10 वर्षीय बेटी की जान चली गई। इस हादसे में उनका घर नष्ट हो गया और मवेशी भी मारे गए। हादसे के समय उनकी पत्नी घर से बाहर थी।

कोटखाई में एक अन्य घटना में भूस्खलन के मलबे में एक बुजुर्ग महिला कलावती का घर ढह गया, जिसमें दबकर उनकी मौत हो गई। इस आपदा के कारण रोहड़ू के दयार मोली गाँव में चार परिवारों को भूस्खलन के खतरे के कारण सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि अकेले शिमला जिले में दो घर ढह गए, जिसमें पिता-पुत्री सहित तीन लोगों की मौत हो गई। शिमला के रामनगर में भूस्खलन का मलबा एक कार पर गिर गया, लेकिन इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

लगातार हो रही बारिश ने बड़े पैमाने पर दैनिक जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड ने कहा है कि शहर की प्रमुख जलापूर्ति योजना में गाद के स्तर में बढ़ोत्तरी को देखते हुए पानी की आपूर्ति रोक दी गई है। कच्चे जल स्रोतों में गंदलापन बढ़कर 8,000 एनटीयू हो गया है, जिससे केवल दो पंप ही काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भूस्खलन से सड़क संपर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ है और अब तक 662 सड़कें अवरुद्ध हैं, जिनमें चंडीगढ़-मनाली चार-लेन जैसे 4 राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं।

शिमला शहर में पहाड़ी खिसकने और पेड़ों के उखड़कर सड़कों पर गिरने से छह से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। राज्य सरकार ने सोमवार को 10 ज़िलों शिमला, सिरमौर, सोलन, कांगड़ा, मंडी, चंबा, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना और कुल्लू उप-मंडलों के सभी शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया। कुल्लू में मंगलवार को भी स्कूल बंद रहेंगे। शिमला में शिक्षकों को पढ़ाई में व्यवधान से बचने के लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का निर्देश दिया गया है।

मौसम विभाग (आईएमडी) ने दो सितंबर के लिए 4 जिलों मंडी, चंबा, कुल्लू और कांगड़ा में भारी बारिश का रेड अलर्ट और ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, सिरमौर और शिमला में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 3 सितंबर से मानसून की गतिविधि थोड़ी कमजोर पड़ सकती है। हिमाचल प्रदेश की सभी प्रमुख नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और कई बाँध अपनी सुरक्षा सीमा पार कर गए हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई है।

केंद्रीय जल आयोग ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली के निचले इलाकों में अचानक बाढ़, सतही जलभराव और जलप्लावन की चेतावनी दी है। अधिकारियों ने अगले 24 घंटों में भूस्खलन और अचानक बाढ़ आने की आशंका को देखते हुए लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया है।

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