कोट्टायम। केरल में चुनावों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध में एक पुरुष उम्मीदवार ने पाला नगर पालिका में महिलाओं के लिए विशेष रूप से आरक्षित वार्ड में अपना नामांकन दाखिल किया है और आरक्षण नीति को अलोकतांत्रिक बताया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय प्रतिष्ठान के अध्यक्ष ई बी जे जोस ने वार्ड नौ (कोच्चिप्पडी) से नामांकन पत्र भरा, जो विशेष रूप से महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। जोस ने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की आलोचना करते हुए कहा कि आरक्षण प्रणाली मतदाताओं की पसंद को सीमित करके लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करती है।
उन्होंने कहा कि कोच्चिप्पडी पिछले कार्यकाल में भी महिलाओं के लिए आरक्षित थी और अब इसे फिर से महिलाओं की श्रेणी में आवंटित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जब महिलाएं समानता की बात करती हैं, तो आरक्षण लागू करना उन्हें आधिकारिक तौर पर कमजोर बताने के समान है। इस बीच सहायक निर्वाचन अधिकारी ए. सियाद ने नामांकन स्वीकार कर लिया और स्क्रूटनी नोटिस के साथ आधिकारिक रसीद जारी कर दी। उन्होंने तर्क किया कि सार्वजनिक सेवा स्वैच्छिक होनी चाहिए। अनिवार्य आरक्षण सच्चे लोकतंत्र के कामकाज में बाधा डालता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षित सीटों से चुने गए प्रतिनिधि अक्सर बाहरी ताकतों या राजनीतिक दलों से प्रभावित या नियंत्रित होते हैं। यह लोकतांत्रिक शासन की भावना को विकृत करता है। जोस ने लगातार चुनावी प्रथाओं पर चिंता व्यक्त की है, जिसमें निर्वाचित सदस्यों द्वारा कई नामांकन और मध्यावधि इस्तीफे के मुद्दे शामिल हैं। चुनावों में आरक्षण श्रेणियों को पूरी तरह से समाप्त करने का आह्वान करते हुए जोस ने कह कि लोकतंत्र को शुद्ध और मजबूत करने के बजाय, ऐसे उपाय इसे दूषित कर रहे हैं।

