लखनऊ में बसपा मुख्यालय पर मुस्लिम भाईचारा संगठन की विशेष बैठक में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मुस्लिम-दलित गठबंधन को मजबूत करने पर जोर दिया। 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करते हुए, मायावती ने अखिलेश यादव की तर्ज पर पार्टी नेताओं को नीली टोपी पहनाई और खुद भी नीली टोपी पहनकर कई नेताओं को मंच पर बुलाया। बैठक में ‘एमडी फैक्टर’ (मुस्लिम-दलित) को मजबूत करने के साथ-साथ चुनाव आयोग के एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) दिशा-निर्देशों पर जवाब तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
मायावती के निर्देश पर पहले चरण में मंडल स्तर पर मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का गठन किया गया है, जिसमें दो मुस्लिम और दो अनुसूचित जाति के नेताओं को शामिल किया गया है। मुस्लिम समुदाय को पार्टी से जोड़ने के लिए इन कमेटियों का विस्तार अब बूथ स्तर तक किया जाएगा। ओबीसी भाईचारा कमेटियों के गठन में समय लगने की संभावना के कारण मुस्लिम कमेटियों को प्राथमिकता दी गई है। कमेटियों के कार्यक्षेत्र और जिम्मेदारियों पर विस्तृत चर्चा की गई।
ओबीसी समुदायों के बीच संवाद बढ़ाना बसपा का यह कदम मुस्लिम और ओबीसी समुदायों के बीच संवाद बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। पार्टी का मानना है कि भाईचारा कमेटियों के जरिए जमीनी संपर्क से 2027 के चुनावी समीकरण मजबूत होंगे। एक नवंबर को ओबीसी भाईचारा कमेटियों के विस्तार पर अगली बैठक होगी।

