बाड़मेर ने 2003 में मंगला और अन्य 37 खोजों के साथ विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान बनाई। 2018 में 11 नए ब्लॉक में खोज शुरू की गई, लेकिन पिछले 7 वर्षों में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। पुराने तेल कुओं से उत्पादन लगातार घट रहा है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन में 2018 से लाइसेंस प्राप्त 11 ब्लॉक में से 10 बाड़मेर और 1 जैसलमेर में हैं। 2018 के बाद लगभग 100 नए कुएं खोदे गए, जिनमें से एक छोटी खोज दुर्गा हुई है। जैसलमेर-बाड़मेर के कुओं में प्राकृतिक गैस मिली है, लेकिन तेल की खोज में असफलता ही हाथ लगी है।
2003 में शुरू हुए तेल उत्पादन में 2009 में वृद्धि हुई, लेकिन 2014-15 में यह 2 लाख 25 हजार बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया। कोरोनाकाल में यह घटकर 1 लाख 10 हजार बैरल प्रतिदिन हो गया और अब 70 से 80 हजार बैरल प्रतिदिन पर आ गया है। नए कुएं खोदने के लिए पॉलीमर इंजेक्शन अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें 200 से अधिक नए कुएं खोदने की योजना है। इसके तहत एएसपी इंजेक्शन का उपयोग किया जाएगा, जिससे उत्पादन बढ़ने का दावा किया जा रहा है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन अब युवा ऑयल फील्ड नहीं है और नई खोज की आवश्यकता है।
2018 में नई खोज शुरू हुई, लेकिन कोरोना के कारण यह प्रभावित हुई। अब तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन मंगला जैसी बड़ी सफलता नहीं मिली है।


