उदयपुर के हाथीपोल थाना क्षेत्र स्थित जनाना अस्पताल में बुधवार को दो नवजात बच्चों की अदला-बदली हो गई। अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में दोपहर करीब 12 बजे 10-15 मिनट के अंतराल में दो महिलाओं ने डिलीवरी की। इनमें से एक ने बेटे और दूसरी ने बेटी को जन्म दिया। विवाद तब शुरू हुआ जब अस्पताल के स्टाफ ने ओटी से बाहर आकर दोनों नवजात के परिजनों को गलत सूचना दे दी।
डॉक्टरों ने जब इस गलती को पकड़ा तो उन्होंने स्पष्ट किया कि बेटी के जन्म की सूचना गलती से बेटे के परिजनों को और बेटे के जन्म की सूचना बेटी के परिजनों को दी गई थी। इस बात को दोनों परिवार मानने को तैयार नहीं थे। नवजातों के बदलने से परिजनों ने हंगामा कर दिया और यही कहते रहे कि उनके बेटे का जन्म हुआ है। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और समझाइश का प्रयास किया। थानाधिकारी योगेंद्र व्यास ने बताया कि सूचना मिली थी कि दो महिलाओं की डिलीवरी के बाद नवजात आपस में बदल गए हैं।
जिनके लड़की हुई थी, उन्हें लड़का दे दिया गया और जिनके लड़का हुआ था, उन्हें लड़की सौंप दी गई। बाद में जब सच्चाई पता चली तो परिवारों में असमंजस की स्थिति हो गई। इस स्थिति को स्पष्ट करने के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है। पुलिस ने बताया कि मीरा नगर निवासी सुनील रावत ने रिपोर्ट में बताया कि जनाना अस्पताल में उनकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है। दोनों ही पेरेंट्स के पहले से एक-एक बेटी है, इसलिए दोनों खुद का बेटा होने का दावा कर रहे हैं।
नवजात बेटा और बेटी किसका है, यह डीएनए जांच रिपोर्ट आने पर पता चलेगा। डीएनए सैंपल ले लिए गए हैं और रिपोर्ट करीब 15 दिन में आएगी। तब तक नवजात अस्पताल की देखरेख में रहेंगे। पुलिस और डॉक्टरों ने दोनों पेरेंट्स को सलाह दी है कि वे बारी-बारी से दोनों नवजात का ख्याल रखें। रावत ने बताया कि पत्नी की डिलीवरी दोपहर 12 बजे हुई थी। स्टाफ ने पहले उन्हें बताया कि बेटा हुआ है, लेकिन एक घंटे बाद कहा गया कि बेटा नहीं, बेटी हुई है।
उन्होंने अस्पताल के स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि वे बधाई के पैसे लेने में व्यस्त हैं। रावत ने कहा कि डॉक्टरों तक को सही नवजात की पहचान नहीं है और इन पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि उनका बच्चा उन्हें दिलाया जाए। दोनों नवजात अभी आईसीयू में भर्ती हैं और किसी भी माता-पिता के अधिकार में नहीं हैं।

