जन्म के पहले दिन मौत से जूझती नवजात की कहानी

जयपुर। जवाहर सर्किल स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती शिशु को कॉनजेनिटल हेपेटिक आर्टेरियोवीनस मालफॉर्मेशन नामक इस जटिल लिवर बीमारी थी जिसका राजस्थान में पहली बार सफल इलाज हुआ है। बिना सर्जरी के सिर्फ इंटरवेंशनल तकनीक से नन्हे जीवन को नई सांसें दी गईं। अब तक दुनियाभर में इस बीमारी के सिर्फ 15 से 20 और भारत में मात्र 2 से 3 केस ही रिपोर्ट हुए हैं। बिना सर्जरी हुआ जीवनरक्षक इंटरवेंशनल डॉ.

गुप्ता ने बताया कि बेहद पतली जांघ की नस के माध्यम से कैथेटर को लिवर तक पहुंचाया और उस असामान्य नसों के गुच्छे तक पहुंचे, जो लगभग ह्दय के आकार से भी बड़ा था। उन्होंने सुरक्षित तरीके से लगभग 70 प्रतिशत असामान्य रक्त वाहिकाओं को मेडिकल-ग्रेड ग्लू से बंद किया, जिससे ह्दय की विफलता पूरी तरह ठीक हो गई। शेष हिस्सा दवाओं से धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगा। समय पर पहचान और एनआईसीयू देखभाल। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ.

अनुराग गुप्ता ने बताया कि गर्भावस्था के 32वें सप्ताह में पहुंची एक महिला की सोनोग्राफी के दौरान बच्चे के लिवर में नसों का एक असामान्य गुच्छा दिखाई दिया। इस कारण खून सीधे लिवर से ह्दय की ओर जाने लगा, जिससे ह्दय पर अत्यधिक दबाव पड़ा और हार्ट फेलियर की स्थिति बन गई। सीनियर गाइनोकोलॉजिस्ट डॉ. ऋचा वैष्णव ने इस असामान्य स्थिति को गर्भावस्था के दौरान ही पहचाना और फेटल मॉनिटरिंग जारी रखी। डिलीवरी के बाद नवजात को डॉ. राजकुमार गोयल की देखरेख में एनआईसीयू में रखा गया। टीम ने 2डी ईको और क्लिनिकल मॉनिटरिंग से स्थिति की जांच की।

बच्चे की हालत सुधार नहीं रही थी, इसलिए टीम ने इंटरवेंशन प्रोसीजर करने का निर्णय लिया।

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