भागवत ने कहा, भाजपा के साथ कोई विवाद नहीं है

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. भागवत ने स्पष्ट किया कि न तो वह 75 साल की उम्र में रिटायर होंगे और न ही किसी को ऐसा करने के लिए कहेंगे। भागवत ने ‘100 वर्ष की संघ यात्रा-नए क्षितिज’ विषय पर तीन दिवसीय व्याखानमाला के अंतिम दिन सवालों के जवाब में कहा कि संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच कोई दरार नहीं है। दोनों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई झगड़ा नहीं है। संघ और भाजपा के विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन उनमें तालमेल बना हुआ है।

भाजपा के काम में संघ का कोई हस्तक्षेप नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह गलत है कि भाजपा के अध्यक्ष और उसकी दिशा संघ तय करता है। यह संभव नहीं है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी विशेषज्ञता के अनुसार शाखा चलाएं। जिनका काम राजकाज चलाना है, वे उस क्षेत्र में निर्णय लेते हैं। हम सुझाव दे सकते हैं, लेकिन निर्णय उनका होगा। संघ उनका निर्णय नहीं लेता, हम केवल मदद करते हैं।

राजनीति में 75 साल की उम्र में पद छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने अपने बारे में ऐसा कहा है और न ही किसी और के बारे में। उन्होंने कभी नहीं कहा कि वह रिटायर होंगे या किसी और को ऐसा करना चाहिए। संघ जो कहता है, हम वही करते हैं। यदि अस्सी साल की उम्र में भी उन्हें संघ शाखा चलाने को कहा जाता है, तो उन्हें वह करना होगा। संविधान सम्मत आरक्षण का संघ समर्थन करता है और यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक इसके लाभार्थियों को इसकी आवश्यकता न महसूस हो।

पहले संघ में आरक्षण को लेकर विभिन्न विचार थे, लेकिन तत्कालीन सर संघचालक गोलवरकर ने एक बैठक में अलग मत रखने वालों से कहा कि वे उन लोगों की स्थिति में खुद को रखकर विचार करें, जिनके साथ जातिगत कारणों से अन्याय हुआ है। इसके बाद अगले दिन बैठक में आरक्षण संबंधी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ।

उन्होंने दीन दयाल उपाध्याय के एक रूपक का उदाहरण दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई गड्ढे में पड़ा है, तो उसे निकालने के लिए गड्ढे में पड़े व्यक्ति को खड़े होकर हाथ बढ़ाना होगा और निकालने वाले को गड्ढे में झुककर उसका हाथ पकड़ना होगा।

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