कोटा। शहर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन अफसोस यह है कि इन खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच नहीं मिल रहा। क्रिकेट प्रेमी युवाओं में जोश और जज्बा तो भरा हुआ है, लेकिन सुविधाओं के अभाव ने उनके सपनों को मोहल्लों की गलियों तक सीमित कर दिया है। शहर में एक भी प्रोफेशनल क्रिकेट अकादमी नहीं है, जहां से खिलाड़ी राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकें। स्थानीय क्रिकेट कोच का कहना है कि कोटा में कम से कम दो आधुनिक क्रिकेट अकादमियों की सख्त जरूरत है। यहां के बच्चे बेहद प्रतिभाशाली हैं।
यदि उन्हें सही कोचिंग और संसाधन मिले, तो कई नामी क्रिकेटरों की सूची में कोटा के खिलाड़ी भी शामिल होंगे। नयापुरा क्षेत्र के खंड गावड़ी निवासी युवा खिलाड़ी महिपाल सिंह का कहना है कि, हम रोजाना सुबह-शाम मैदान में अभ्यास करते हैं, लेकिन यहां टर्फ विकेट या फिटनेस ट्रेनर जैसी सुविधा नहीं है। सही मार्गदर्शन मिले तो हम भी बड़े मंच पर प्रदर्शन कर सकते हैं। प्रशासन से अकादमी खोलने की मांग है।
बॉक्सिंग से जुड़े कोच प्रीतम सिंह भी कहते हैं कि हर मोहल्ले में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो दमदार बल्लेबाजी, धारदार गेंदबाजी और शानदार क्षेत्ररक्षण से लोगों को प्रभावित करते हैं। मगर इनका हुनर गली क्रिकेट और छोटे टूर्नामेंटों से आगे नहीं बढ़ पाता। अकादमी न होने के कारण उन्हें न तो नियमित कोचिंग मिलती है और न ही प्रतियोगी माहौल। खेल प्रेमियों का कहना है कि प्रशासन और खेल विभाग को मिलकर ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर क्रिकेट अकादमियों की स्थापना करनी चाहिए।
इससे न केवल स्थानीय युवाओं को अवसर मिलेगा, बल्कि कोटा खेलों का एक नया केंद्र बनकर उभरेगा। कोटा के युवा खिलाड़ी आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनका शहर एक दिन ऐसा मंच बनेगा, जहां से अगला राजस्थान रॉयल्स या टीम इंडिया का स्टार उभरेगा। फिलहाल, उनके सपने गली क्रिकेट की पिचों पर ही संघर्ष कर रहे हैं। हाल ही में नई जिला क्रिकेट एसोसिएशन की कार्यकारिणी का गठन किया गया है।
नई टीम के गठन से खिलाड़ियों में उत्साह भी है, एसोसिएशन का उद्धेश्य है कि अब प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को बड़े मंच पर खेलने का सुनहरा अवसर मिले, जिससे शहर के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतर मौका मिलेगा।- वाईबी सिंह, खेल विकास अधिकारी, कोटा

