भुवनेश्वर। ओडिशा उच्च न्यायालय ने कहा है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद जिन सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों की पेंशन निलंबित कर दी गई थी, वे तब तक पेंशन बहाली के हकदार नहीं हैं, जब तक कि उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा संबंधित मामले में बरी नहीं कर दिया जाता। न्यायमूर्ति आरके पटनायक ने एक फैसले में कहा कि दोषी पाए जाने और सजा के निलंबन के आदेश के खिलाफ दायर की गई अपील करने वाला कोई लोक सेवक पेंशन बहाली का हकदार नहीं होता है।
नियमों में ‘न्यायिक कार्रवाई’ की परिभाषा के संबंध में अपनाई गई व्याख्या के अलावा कोई भी अन्य व्याख्या बेतुकी होगी और प्रावधानों को निरर्थक बना देगी। याचिकाकर्ता ने यह की थी मांग : याचिकाकर्ताओं ने सरकार को उनकी आपराधिक अपीलों के निपटारे तक अस्थाई पेंशन स्वीकृत करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं को सतर्कता कार्रवाई में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था और उनकी सजा के खिलाफ वर्तमान में न्यायालय में अपील की गई है।
केवल अपील दायर करने से पेंशन की बहाली का औचित्य नहीं बनता : न्यायालय ने इस बात की जांच की कि क्या ऐसे दोषी अधिकारी अपीलों के लंबित रहने के दौरान पेंशन के हकदार हैं। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि केवल अपील दायर करने और सजा पर रोक लगने से पेंशन की बहाली का औचित्य नहीं बनता। याचिकाकर्ताओं को 2017 से पेंशन नहीं मिली है। न्यायालय ने कहा कि पेंशन बहाली उनकी अपीलों के निर्णय पर निर्भर करती है।
