संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली, 25 मई ()। नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता सीआर जया सुकिन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय, भारत संघ, गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय ने संविधान का उल्लंघन किया है और इसका सम्मान नहीं किया जा रहा है।

याचिका में कहा गया है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में लोकसभा के महासचिव द्वारा जारी किया गया निमंत्रण पत्र प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का पालन किए बिना और संविधान के अनुच्छेद 21, 79, 87 का उल्लंघन करता है।

याचिका में कहा गया है कि, संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और राज्य सभा (राज्यों की परिषद) और लोकसभा (जनता का सदन) शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है।

याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है।

याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति को राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों के न्यायाधीशों, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयुक्त के अध्यक्ष और प्रबंधक, मुख्य चुनाव आयुक्त, वित्तीय आयुक्त, और अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों को नियुक्त करने के लिए अधिकृत किया गया है।

इसमें कहा गया है, दोनों सदनों का मुख्य कार्य कानून बनाना है। प्रत्येक विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना चाहिए और कानून बनने से पहले राष्ट्रपति द्वारा सहमति दी जानी चाहिए।

संविधान का अनुच्छेद 87 दो उदाहरण प्रदान करता है जब राष्ट्रपति विशेष रूप से संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र की शुरुआत में राज्यसभा और लोकसभा को संबोधित करते हैं। हर साल पहले सत्र की शुरुआत में दोनों सदनों को संबोधित करते हैं।

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