नई दिल्ली। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ (Doctor) शब्द का प्रयोग न करें, क्योंकि वे मेडिकल डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित नहीं होते। यह कदम मरीजों और आम जनता को गुमराह होने से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। 9 सितंबर को भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली को भेजे गए पत्र में डीजी हेल्थ सर्विसेज डॉ.
सुनीता शर्मा ने कहा कि अगर कोई फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम से पहले ‘डॉ.’ लगाता है, तो यह भारतीय चिकित्सा उपाधि अधिनियम, 1916 का उल्लंघन माना जाएगा। पत्र में यह भी कहा गया है कि फिजियोथेरेपिस्टों को केवल रेफर किए गए मरीजों का ही इलाज करना चाहिए, क्योंकि वे न तो रोग की चिकित्सीय पहचान (डायग्नोसिस) के लिए प्रशिक्षित होते हैं और न ही उन्हें प्राथमिक चिकित्सा पद्धति में कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। डॉ.
शर्मा ने चेतावनी दी कि फिजियोथेरेपिस्टों द्वारा दी गई अनुचित सलाह न केवल मरीज के लिए हानिकारक हो सकती है, बल्कि इससे मामलों की गंभीरता भी बढ़ सकती है। यह निर्देश स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पेशेवर पारदर्शिता और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया है।