नई दिल्ली। भारतीय विज्ञापन जगत के पुरोधा और विश्व प्रसिद्ध ‘एड गुरु’ पीयूष पांडे का गुरुवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 70 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को होगा। पीयूष पांडे एक ऐसे दिग्गज नाम हैं जिन्होंने अपनी दूरदर्शी प्रतिभा से विज्ञापन जगत को नया रूप दिया और विज्ञापन उद्योग पर अमिट छाप छोड़ी। जयपुर में जन्मे पीयूष पांडे की शिक्षा दिल्ली के मशहूर सेंट स्टीफन कॉलेज से हुई थी और वह एक अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी भी थे।
शुरू में उन्होंने चाय की कंपनी में ‘टी टेस्टर’ की नौकरी की थी और इसके बाद विज्ञापन की दुनिया में किस्मत आजमाने मुंबई चले गए जहां वह विज्ञापन बनाने वाली कंपनी ओगिल्वी इंडिया से जुड़ गए। उन्होंने भारतीय विज्ञापनों को आम आदमी और सरल भाषा में जोड़कर एक ऐसी छाप छोड़ी है जो सबके जेहन में हमेशा बनी रहती है। विज्ञापन को भी बना देते थे भावनात्मक : पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित पांडे को भारतीय विज्ञापन जगत की अनूठी आवाज और पहचान के निर्माता के रूप में व्यापक रूप से सराहा गया।
लगभग चार दशकों के उनके शानदार करियर में ऐसे प्रतिष्ठित अभियान शामिल थे जो आज भी गहराई से गूंजते हैं। उन्होंने फेविकोल के आकर्षक जिंगल्स से लेकर कैडबरी और एशियन पेंट्स के भावनात्मक रूप से समृद्ध कथानक तक के निर्माण में एक मिसाल कायम की। उनके काम ने नए मानक स्थापित किए और भारत में विभिन्न कंपनियों के ब्रांडों के दर्शकों के साथ संवाद करने के तरीके को बदल दिया।
रेडियो जिंगल्स में आवाज दी : पांडे का विज्ञापन के प्रति जुनून बचपन में ही अपने भाई प्रसून के साथ शुरू हो गया था, जिनके साथ उन्होंने रेडियो जिंगल्स को अपनी आवाज दी थी। वह 1982 में ओगिल्वी में शामिल हुए और सनलाइट डिटर्जेंट के लिए अपना पहला विज्ञापन तैयार किया। इसके बाद वह लगातार आगे बढ़ते हुए दुनियाभर में मुख्य रचनात्मक अधिकारी और भारत में कार्यकारी अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया ने सबसे यादगार अभियान प्रस्तुत किए और अपनी सांस्कृतिक संवेदनशीलता के मिश्रण से विज्ञापनदाताओं की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया।
पीएम ने जताया दु:ख : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पीयूष पांडे जी अपनी रचनात्मकता के लिए प्रशंसित थे। उन्होंने विज्ञापन और संचार की दुनिया में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।
