पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद आज जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस मौके पर उन्होंने मीडिया से रूबरू होते हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी के 243 में से 238 सीटों पर लड़कर एक भी सीट न जीत पाने की वजह बताई और चुनाव में हार की पूरी जिम्मेदारी अपने उपर ली। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, सरकार ने महिलाओं को पैसा देकर वोट खरीद लिए।
अगर बिहार से बेरोजगारी और पलायन खत्म हो जाए तो ‘मैं राजनीति छोड़ दूंगा।’ इसके आगे पीके ने कहा कि, हमें कई सीटों पर 10-15% तक वोट जरूर मिले। इसके बाद प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि, 20 नवंबर से वे मौन व्रत रखेंगे और आत्म-मंथन करेंगे। जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कहा कि, बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही उनकी पार्टी का प्रदर्शन बहुत खराब रहा, लेकिन जब तक प्रदेश को बदलने का संकल्प पूरा नही कर लेंगे, पीछे हटने का कोई सवाल नही है।
किशोर ने आज बिहार चुनाव के बाद पहली बार संवाददाता सम्मेलन में मुखातिब होते हुए कहा कि प्रदेश में व्यवस्था बदलने का उन्होंने एक ईमानदार प्रयास किया, लेकिन किसी कारणवश सफलता नही मिली। उन्होंने कहा कि जनता को जरुरी मुद्दे समझाने में शायद कुछ कमी रह गयी, जिसकी वजह से समर्थन वोटों में तब्दील नही हो सका और अब पार्टी आत्ममंथन के बाद आगे की रणनीति तय करेगी।
किशोर ने सवाल क्या भविष्य में एक मजबूत विपक्ष बनने के लिए जनसुराज कुछ अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन में शामिल होगा, के जवाब में कहा कि अभी तो पार्टी के पास विधानसभा में कोई जगह नही है। फिलहाल, उनकी पार्टी आत्ममंथन के दौर से गुजरेगी और उसके बाद निष्कर्ष के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। जनसुराज के सूत्रधार ने कहा कि, भले ही उनकी पार्टी चुनाव में कोई सीट नही जीत सकी, लेकिन इसकी दिशा बदलने में उसके योगदान को खारिज नही किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि, पक्ष हो या विपक्ष पहली बार जाति और धर्म से दीगर शिक्षा, रोजगार और पलायन की बात करते नजर आए। उन्होंने कहा कि ये सभी मुद्दे बिहार की राजनीति में पहली बार जनसुराज ने ही उठाये थे। किशोर ने कहा कि, जनसुराज ने बिहार में व्यवस्था बदलने की एक ईमानदार कोशिश की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने जाति, धर्म में समाज को बांट के जनता से वोट नही मांगा और ना ही किसी भ्रष्ट तरीके का इस्तेमाल किया।
उन्होंने कहा कि चुनाव में हुई हार की जिम्मेदारी वह लेते हैं और आत्ममंथन के क्रम में दो दिन बाद पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम जा कर चौबीस घन्टे का उपवास रखेंगे। जनसुराज के सूत्रधार ने महाभारत की लड़ाई में अभिमन्यु की कहानी सुनाई, जिसे चक्रव्यूह में डाल कर कौरव सेना के योद्धाओ ने मार दिया था। उन्होंने कहा कि मारे जाने के बावजूद दुनिया अभिमन्यु की वीरता की कहानी ही कहता है। उन्होंने कहा कि भले अभिमन्यु मारा गया, लेकिन अन्तत: जीत उसी सेना की हुई, जिसके लिए वह लड़ रहा था।
उन्होंने कहा कि थोड़े समय के लिए झूठ भले जीत जाए, लेकिन अन्तत: जीत सत्य की ही होती है।

