पुष्कर। विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेले में अश्व और ऊंट वंश की अठखेलियां विदेशी पर्यटकों को लुभा रही हैं। विदेशी पर्यटक पशुओं के साथ देहाती ग्रामीण पशुपालकों की दिनचर्या की बारे में जानकारी लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं। पशुपालकों के रेतीले धोरों में खाना बनाने, उनके रहन सहन व पशुओं के खान-पान के बारे में जानकारी लेकर अपने कैमरे में यादें कैद कर रहे हैं। पुष्कर मेला देशी के साथ विदेशियों के बीच भी बहुचर्चित है। रेतीले धोरों में ऊंट व अश्वों के रंभाने की आवाज सभी के लिए एक अलग ही अनुभव का विस्मरण करा रही है।
उधर मेले में पशुओं की खरीद फरोख्त जोरों पर जारी है। व्यापारी पशुओं की नस्ल, कद, चाल, दांत देख कर पशुओं का मोलभाव कर रहे हैं। यूएस के पर्यटकों का दल पशु मेला देखकर काफी रोमांचित हुआ। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि वे जस्ट 2 घंटे पहले आए हैं, यहां उन्हें कोई अंदाजा नहीं था कि उन्हें यहां इतना भव्य सुंदर और भीड़भाड़ वाला दृश्य देखने को मिलेगा। उन्होंने भारतीय संस्कृति के बारे में सीखना शुरू किया है तथा वे यहां कैमल के श्रृंगार को देखकर सभी काफी रोमांचित हुए हैं।
15 करोड़ में बिकने आया केकड़ी का बादल मेले में अब तक पहुंचे घोड़े-घोड़ियों में 68 इंच प्लस लंबाई के बादल नामक अश्व मेलार्थियों के आकर्षण का केन्द्र बना है। रविवार को दिनभर मेलार्थी बादल के साथ सेल्फी लेते दिखे। पुष्कर मेले में बादल को तीसरी बार लेकर आए केकड़ी के जेतवाल स्टड फार्म के राहुल जेतवाल ने बताया कि बादल का रंग सफेद है, वह 5 वर्षीय है तथा 68 इंच प्लस है। अश्व पालन में उनकी यह 7वीं पीढ़ी है।
राहुल ने बादल की कीमत पर बताया कि वह अनमोल है फिर भी वे इसकी कीमत 15 करोड़ तक मानते हैं। गत वर्ष इसकी 9 करोड़ तक बोली लगी थी। अब तक 3021 पशुओं की आवक रेतीले धोरों में पशुओं की मंडी सज कर तैयार हो गई है। अब तक मेले में ऊंट व अश्व सहित 3 हजार से अधिक पशु पहुंच गए हैं। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक व मेला अधिकारी डा. सुनील घीया ने बताया कि मेले में रविवार की शाम तक 3 हजार 21 पशुओं की आवक दर्ज की गई है। इनमें सर्वाधिक 2102 अश्व शामिल हैं।
जबकि अभी तक 917 ऊंटों की आमद हुई है। 1 गौवंश व 1 भैंस वंश आए हैं। कुल 234 जानवर राजस्थान के बाहर से आए हैं। घीया ने बताया कि पुष्कर मेले में रविवार को एक ही दिन में करीब 15 सौ अश्व वंश पहुंचे। जबकि ऊंट केवल 184 ही आए। खुले आसमान के नीचे पशुपालक व व्यापारियों के बीच लाखों रुपयों का लेनदेन हो रहा है। 650 किलो वजनी आया राणा नाम का भैंसा मेले में ऊंट व अश्वों के साथ एक भैंसा भी पहुंचा है। वहीं भैंसे की खासियत है कि वह 650 किलो वजनी है।
मध्यप्रदेश से पहली बार पुष्कर मेले में बिकने के लिए पहुंचा राणा नामक भैंसा देशी के साथ विदेशियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना है। धर्मेन्द्र चौहान ने बताया कि राणा साढ़े 3 साल का है। वे उसे प्रतिदिन चना, अंडा, दूध, घी का सेवन कराते हैं। वे इसकी कीमत 15 लाख रुपए मान रहे हैं।

