हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में आयोजित ग्लोबट्रॉटर इवेंट में एसएस राजामौली अपनी नई फिल्म ‘वाराणसी’ का पहला वीडियो दिखाने पहुंचे थे। जैसे ही वीडियो लगातार अटकने लगा, हॉल में हल्की बेचैनी फैल गई। राजामौली ने मंच पर आते ही फैंस से माफी मांगी और मजाकिया अंदाज़ में एक ऐसा कमेंट कर दिया, जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर बहस की आग भड़क उठी। उन्होंने कहा, मुझे भगवान में बहुत भरोसा नहीं। यह लाइन उनकी हंसी में कही बात थी, पर सोशल मीडिया की दुनिया ने इसे अलग ही रूप दे दिया।
इसके तुरंत बाद उनका 2011 का पुराना ट्वीट भी वायरल होने लगा, जिसमें उन्होंने लिखा था कि उन्हें भगवान राम पसंद नहीं, बल्कि कृष्ण ज़्यादा पसंद हैं। इस ट्वीट ने वर्तमान विवाद में नया मोड़ जोड़ दिया। लोग दोनों बातों को जोड़कर आरोप लगाने लगे कि राजामौली जानबूझकर ऐसे बयान देते हैं। वहीं, फैंस का एक बड़ा वर्ग उन्हें सपोर्ट भी कर रहा है और कह रहा है कि बयान को गलत तरीके से तोड़ा-मरोड़ा गया है। एक मज़ाक कैसे बना बड़ा विवाद?
कार्यक्रम में तकनीकी खराबी आने के बाद राजामौली ने माहौल हल्का करने के लिए मज़ाक करते हुए कहा कि उनके पिता विजयेंद्र प्रसाद ने मंच पर आते समय कहा था कि भगवान हनुमान उनकी टीम पर कृपा बनाए हुए हैं। राजामौली ने मुस्कुराते हुए कहा, मैं भगवान पर ज्यादा भरोसा नहीं करता, और जैसे ही वीडियो नहीं चला तो लगा शायद यह भगवान का संकेत है। यह लाइन स्टेज पर हल्के हास्य में कही गई थी, लेकिन वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर पहुंचते ही तेवर बदल गए।
कुछ लोगों ने इसे तुरंत हनुमान जी का अपमान मान लिया और निर्देशक को निशाने पर ले लिया। एक सामान्य इवेंट का सामान्य मजाक, मिनटों में ट्रेंडिंग विवाद बन गया। जैसे ही विवाद शुरू हुआ, सोशल मीडिया यूज़र्स ने राजामौली की पूरी डिजिटल हिस्ट्री खंगालनी शुरू कर दी। इसी दौरान उनका 2011 का ट्वीट फिर से उभर आया जिसमें लिखा था, मुझे भगवान राम ज्यादा पसंद नहीं… कृष्ण मेरे पसंदीदा हैं। कई लोगों ने इस ट्वीट को उनके नए बयान से जोड़कर दावा किया कि यह एक पैटर्न है। उनके अनुसार, राजामौली जानबूझकर ऐसे धार्मिक विषयों को टारगेट करते हैं।
हालांकि, कुछ फैंस ने याद दिलाया कि राजामौली ने उसी समय ट्वीट का संदर्भ साफ किया था, यह उनकी निजी भावनाएं थीं, किसी देवता का अपमान नहीं। लेकिन सोशल मीडिया पर संदर्भ अक्सर सबसे पहले गायब हो जाता है और बयान का मतलब मन-मुताबिक निकाल लिया जाता है। वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर दो गुट बन गए। एक तरफ लोग थे जो कह रहे थे कि राजामौली की निजी आस्था है, जिस पर सवाल नहीं उठना चाहिए। उनका तर्क था कि उन्होंने हास्य के तौर पर बात कही थी और इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
दूसरी तरफ, कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुईं और उन्होंने निर्देशक की आलोचना शुरू कर दी। कई यूज़र्स ने तो उनकी आने वाली फिल्मों का बहिष्कार करने की मांग तक कर दी। हालांकि, फिल्म इंडस्ट्री और उनके कोर फैंस के मुताबिक, राजामौली ने कभी किसी धर्म या आस्था का अपमान नहीं किया, बल्कि उनकी फिल्मों में भारतीय पौराणिक तत्व हमेशा प्रमुख रहे हैं। राजामौली के खिलाफ शिकायत विवाद तब और गंभीर हो गया जब राष्ट्रीय वनर सेना नामक संगठन ने हैदराबाद के सरूरनगर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत में आरोप लगाया गया कि राजामौली के बयान से हिंदू भावनाएं आहत हुई हैं। हालांकि, पुलिस की ओर से अभी तक FIR की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन शिकायत दर्ज होने से मामला एक नए स्तर पर पहुंच चुका है। ट्विटर पर #Rajamouli और #Hanuman लगातार ट्रेंड कर रहे थे, और लोग अपने-अपने प्लेटफॉर्म पर राय दे रहे थे। मामले का सार्वजनिक दबाव इतना बढ़ गया कि कई राजनीतिक अकाउंट्स भी इसमें कूद पड़े। इस विवाद को समझने के लिए राजामौली की पूरी बात का संदर्भ देखना जरूरी है।
उन्होंने किसी भी भगवान के बारे में कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की। उन्होंने सिर्फ अपनी व्यक्तिगत आस्था का जिक्र किया, जो कभी ज्यादा धार्मिक नहीं रही। उनके पिता विजयेंद्र प्रसाद की गहरी आस्था है, और राजामौली अक्सर बताते हैं कि वह उनसे प्रेरणा लेते हैं। यह बयान उसी संदर्भ में दिया गया था एक हल्का डायलॉग, भारी विवाद बन गया। विशेषज्ञों का मानना है कि मजाक को गलत संदर्भ में पेश किया गया है और धार्मिक संवेदनशीलता जैसे मुद्दे सोशल मीडिया पर जल्दी भड़कते हैं। राजामौली की फिल्मों में भारतीय पौराणिक कथाओं की मजबूत छाप दिखती है।
चाहे बाहुबली की कहानी हो या RRR में राम-हनुमान जैसे प्रतीकों का प्रयोग उन्होंने भारतीय संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाई है। ऐसे निर्देशक पर धार्मिक असंवेदनशीलता का आरोप लगना कई लोगों के लिए चौंकाने वाला है। क्रिटिक्स का कहना है कि अगर कोई फिल्ममेकर भारतीय मूल्यों को सबसे बड़े स्तर पर प्रस्तुत कर रहा है, तो उसके एक मजाक को धार्मिक अपमान कहना अतार्किक है।
फिल्म विश्लेषकों का कहना है कि विवाद भले ही सोशल मीडिया पर बड़ा दिख रहा हो, लेकिन राजामौली की फैन फॉलोइंग और ब्रांड वैल्यू इतनी मजबूत है कि इसका उनकी फिल्म पर बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, धार्मिक विवाद होने के कारण चर्चा लंबी चल सकती है। लेकिन राजामौली की क्रिएटिव प्रतिष्ठा और जनता का भरोसा ऐसा है जो एक-दो बयानों से डगमगाता नहीं है। उनकी फिल्म ‘वाराणसी’ पहले से काफी चर्चा में है और इस विवाद ने इसे और अधिक सुर्खियों में ला दिया है, जो फिल्म के लिए नुकसान से ज्यादा फायदा भी हो सकता है।

