राजस्थान हाईकोर्ट का अतिक्रमण हटाने के लिए राज्य सरकार को आदेश

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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि प्रदेश स्तर पर सड़कों और फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया जाए। यदि किसी अधिकारी या पुलिस अधिकारी की भूमिका अतिक्रमण को संरक्षण देने में सामने आती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। अदालत ने यूडीएच के अतिरिक्त मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के संदर्भ में नगर निगमों और नगर परिषदों को अतिक्रमण हटाने के लिए निर्देश जारी करें। जस्टिस एसपी शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने यह आदेश विनोद कुमार बोयल की जनहित याचिका को पुनर्जीवित करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने एक अधिकारी को अवमानना कर्ता के रूप में पक्षकार बनाने का आवेदन प्रस्तुत किया। अदालत ने इस प्रार्थना को खारिज करते हुए कहा कि अवमानना के मामलों में किसी व्यक्ति को बाद में पक्षकार बनाने का कोई नियम नहीं है। जिस अधिकारी को निर्देशित किया गया था, अवमानना प्रकरण उसी तक सीमित रहता है। अदालत ने कहा कि एसीएस, यूडीएच और जयपुर विकास प्राधिकरण को शहर को जोड़ने वाले मार्गो पर अतिक्रमणों को चिन्हित करते समय मास्टर प्लान और जोनल डवलपमेंट प्लान के मानकों का पालन करना होगा। यदि रोड या फुटपाथ पर अतिक्रमण पाया जाता है, तो उसे हटाया जाना चाहिए।

किसी ग्राम प्राधिकारी द्वारा जारी पट्टा या कोर्ट का आदेश अतिक्रमण हटाने में बाधा नहीं बनेगा। कोई भी कोर्ट अतिक्रमण को प्रोत्साहित करने के लिए अधिकृत नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि अतिक्रमण हटाने से पहले अतिक्रमण करने वाले को 7-8 दिन का समय दिया जाना चाहिए, ताकि वह अपने स्तर पर कब्जा हटा सके। इसके बाद प्रशासन कब्जा हटाए और उस पर होने वाला खर्च भी अतिक्रमणकारी से वसूल करे।

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