राजस्थान के एकल पट्टा भूमि घोटाले में शुक्रवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने पूर्व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की उस याचिका को समयपूर्व बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की क्लोजर रिपोर्टों के खिलाफ दायर प्रोटेस्ट याचिकाएं अभी ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं, इसलिए इन पर निर्णय लेने का अधिकार केवल निचली अदालत का है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार जांच जारी रख सकती है और इसमें किसी न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के 5 नवंबर 2024 के आदेश के अनुपालन में हुई थी, जिसमें कहा गया था कि मामला शीघ्र निस्तारण के लिए राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा तय किया जाए। यह विवाद जयपुर के प्रीमियम क्षेत्र की करीब 40,000 वर्ग गज भूमि के विवादास्पद आवंटन से संबंधित है। आरोप है कि 2011 में नगरीय विकास विभाग ने नियमों का उल्लंघन करते हुए भूमि एक निजी बिल्डर को बहुत कम दर पर आवंटित की थी।
वर्ष 2014 में एसीबी ने एफआईआर संख्या 422/2014 दर्ज की थी, जिसमें ₹300 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार की जांच शुरू की गई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि शांति धारीवाल का नाम न तो एफआईआर में आरोपी के रूप में दर्ज है और न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल हुई है। इस स्थिति में उनकी कार्यवाही रद्द करने की मांग कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है। अदालत ने कहा कि जब तक ट्रायल कोर्ट में लंबित प्रोटेस्ट याचिकाओं पर विचार नहीं होता, उच्च न्यायालय दखल नहीं दे सकता। राज्य सरकार की ओर से एएसजी एस.वी.
राजू, एएजी शिव मंगल शर्मा और अधिवक्ता सोनाली गौर ने तर्क दिया कि धारीवाल की याचिका अस्वीकार्य है क्योंकि एसीबी की 2019 की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट याचिकाएं लंबित हैं। उन्होंने कहा कि जांच की प्रक्रिया आपराधिक न्याय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है और इसे रोकना न्यायसंगत नहीं होगा। वहीं, धारीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सहजवीर बाजवा ने कहा कि जांच अधिकारी ने निष्पक्ष जांच कर क्लीन चिट दी थी, इसलिए उनके मुवक्किल ‘अग्रहित पक्ष’ हैं।
दोनों पक्षों की बहस के बाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट अब लंबित प्रोटेस्ट याचिकाओं पर विधिक रूप से निर्णय करेगा। अदालत ने राज्य सरकार को आगे की जांच करने की स्वतंत्रता दी और 15 नवंबर 2022 का पुराना आदेश, जिसमें धारीवाल के खिलाफ कार्यवाही रद्द की गई थी, प्रभावहीन कर दिया। इसके साथ ही, एकल पट्टा घोटाला मामला दोबारा न्यायिक पुनर्विचार के दायरे में आ गया है। अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी, जिसमें सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन वापसी के मुद्दे पर भी विचार किया जाएगा।

